शब्द का अर्थ
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					अरग					 :
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					पुं० दे० अर्घ। २. दे० ‘अरगजा’। अव्य० अलग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अरगजा					 :
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					पुं० [?] कपूर, केसर, चंदन आदि द्रव्यों के मेल से बनाया जाने वाला एक विशिष्ट सुगंधित द्रव्य।				 | 
			
			
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					अरगजी					 :
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					वि० [हिं० अरगजा] १. जिसका रंग अरगजे का सा हो। २. जिसकी सुगंध अरगजे जैसी हो। पुं० एक प्रकार का गहरा पीला रंग। (कैडमियम)				 | 
			
			
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					अरगट					 :
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					वि० [हिं० अलगट] १. पृथक्। अलग। २. भिन्न। ३. निराला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अरगन					 :
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					पुं० [अं० आर्गन] धौंकनी से बजनेवाला एक विलायती बाजा।				 | 
			
			
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					अरगनी					 :
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					स्त्री० दे० ‘अलगनी’।				 | 
			
			
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					अरगल					 :
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					पुं०=अर्गला।				 | 
			
			
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					अरग्रवान					 :
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					पुं० [फा० अर्गवान] गहरे लाल या रक्त रंग वर्ण का फूल और उसका वृक्ष।				 | 
			
			
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					अरग्रवानी					 :
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					वि० [फा० अर्गवानी] जिसका रंग गहरा लाल या रक्त हो।				 | 
			
			
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					अरगाना					 :
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					अ० [हिं० अलगाना] १. अलग होना। पृथक् होना। २. किसी झगड़े से अलग होकर चुप रहना। उदाहरण—अस कहि राम हरे अरगई।—तुलसी। स० १. अलग या पृथक् करना। २. छाँटना।				 | 
			
			
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