शब्द का अर्थ
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					ग्रस्त					 :
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					भू० कृ० [सं०√Öग्रस्+क्त] १. खाया या निगला हुआ। २. ग्रसा या पकड़ा हुआ। जैसे–ग्रह-ग्रस्त। ३. कष्ट, रोग आदि से युक्त। पीड़ित। जैसे–ज्वर-ग्रस्त। ४. किसी के नियंत्रण में आया हुआ।				 | 
			
			
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					ग्रस्ता(स्तृ)					 :
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					वि० [सं० Öग्रस्+तृच्] १. ग्रसन करने या पकड़नेवाला। २. भक्षक।				 | 
			
			
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					ग्रस्तास्त					 :
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					वि० [सं० ग्रस्त-अस्त, कर्म० स०] (चंद्रमा या सूर्य) जो ग्रहण लगे रहने की दशा में ही अस्त हो जाए। पुं० ऐसा ग्रहण जो चंद्रमा या सूर्य के अस्त होने के समय तक न छूटा हो।				 | 
			
			
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					ग्रस्ति					 :
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					स्त्री० [सं० Öग्रस्+क्तिन्] १. निगलने की क्रिया या भाव। २. ग्रसने या पकड़ने की अवस्था, क्रिया या भाव। ग्रास।				 | 
			
			
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					ग्रस्तोदय					 :
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					पुं० [ग्रस्त-उदय, ष० त०] ऐसा ग्रहण जिसमें चंद्रमा या सूर्य ऐसी अवस्था में उदित हों कि उस पर ग्रहण लगा हुआ हों।				 | 
			
			
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