शब्द का अर्थ
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नंदि :
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पुं० [सं०√नन्द्+इन्] १. आनंद। २. वह जो पूर्णतः आनंदमय हो। ३. सच्चिदान्द परमात्मा। ४. शिव। ५. दे० ‘नंदिकेशर’। |
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समानार्थी शब्द-
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नंदिक :
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पुं० [सं० नंद+ठन्—इक] १. नंदी वृक्ष। तुन का पेड़। २. धव का पेड़। धौ। आनंद। |
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नंदिकर :
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पुं० [सं०] शिव। |
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नंदिका :
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स्त्री० [सं० नंदिका+टाप्] १. पानी रखने की मिट्टी की नाँद। २. चांद्रमास के प्रत्येक पक्ष की प्रतिपद, षष्ठी और एकादशी तिथियाँ। ३. हँसमुख स्त्री। ४. नंदनकानन। |
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नंदिकावर्त्त :
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पुं० [सं०] एक प्रकार का रत्न। (बृहत्संहिता) |
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नंदि-कुंड :
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पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्राचीन तीर्थ। (महा०) |
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नंदिकेश :
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पुं० [सं०] नंदिकेश्वर। |
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नंदिकेश्वर :
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पुं० [सं०] १. शिव के द्वारपाल बैल का नाम। नंदि। २. नंदि द्वारा उक्त एक पुराण। ३. नंदि के स्वामी, शिव। |
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नंदिग्राम :
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पुं० [सं०] अयोध्या के निकट का एक प्रचीन गाँव जहाँ राम-वनवास के समय भरत १४ वर्षों तक रहे थे। |
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नंदि-घोष :
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पुं० [सं० ब० स०] अर्जुन का एक रथ जो उन्हें अग्निदेव से मिला था। |
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नंदित :
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वि० [सं०√नन्द्+क्त] आनंदित। सुखी। आनंदयुक्त। प्रसन्न। वि० [हिं० नाद] नाद करता या बजाता हुआ। |
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नंदि-तरु :
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पुं० [सं० कर्म० स०] धव। धौ। |
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नंदि-तूर्य :
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पुं० [सं० मध्य० स०] एक पुराना बाजा। |
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नंदिनी :
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स्त्री० [सं०√नन्द्+णिनि—ङीष्] १. पुत्री। बेटी। २. उमा। ३. गंगा। ४. दुर्गा। ५. कार्तिकेय की मातृका। ६. व्याड़ि मुनि की माता। ७. जोरू। पत्नी। ८. स्त्री के पति की बहिन। ९. जटामासी। बाल—छड़। १॰. रेणुका नामक गन्ध द्रव्य। ११. वसिष्ठ की कामधेनु जो सुरभि के गर्भ से उत्पन्न हुई थी। १२. तेरह अक्षरों का एक वर्ण-वृत जिसके प्रत्येक चरण में एक सगण, एक जगण, फिर दो सगण और अंत में एक गुरु होता है। इसे कलहंस और सिंहनाद भी कहते हैं। |
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नंदि-मुख :
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पुं० [ब० सं०] १. शिव। महादेव। २. एक प्रकार का चावल। ३. एक प्रकार का पक्षी। पुं० नांदी मुख (श्राद्ध)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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नंदिमुखी :
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पुं० [?] ऐसा पक्षी जिसकी चोंच का ऊपरी भाग बहुत कड़ा और गोल हो। ऐसे पक्षी का मांस पित्तनाशक, चिकना, भारी मीठा और वायु, कफ, बल तथा शुक्रवर्धक कहा गया है। (भाव प्रकाश) स्त्री० तंद्रा। |
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नंदिरुद्र :
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पुं० [सं०] शिव का एक नाम। |
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नंदि-वर्द्धन :
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पुं० [सं० नंदि√वृध् (बढ़ना)+णिच्+ल्यु—अन] नंदिवर्धन। |
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नंदि-वर्धन :
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वि० [सं०] आनंद बढ़ानेवाला। पुं० १. शिव। २. पुत्र। बेटा। ३. दोस्त। मित्र। ४. एक तरह का प्रचीन विमान। ५. प्रचीन वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ विशिष्ट विस्तारवाला मंदिर। ६. बिंबसार का पुत्र। |
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नंदिवारलक :
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पुं० [सं०] एक तरह की समुद्री मछली। (सुश्रुत) |
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नंदिषेण :
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पुं० [सं०] कुमार के अनुचर का नाम। |
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