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शब्द का अर्थ

नीलिंगु  : पुं० [सं० नि√लंग् (गति)+कु, नि० पूर्वदीर्घ] १. एक तरह का कीड़ा। २. गीदड़। श्रृगाल। ३. भौंरा। भ्रमर। ४. फूल।
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नील  : वि० [सं०√नील् (रंग होना)+अच्] गहरे आसमानी रंग का। पुं० १. नीला रंग। २. एक प्रसिद्ध पौधा जो २½/३ हाथ लंबा होता तथा जिसमें नीले रंग के छोटे-छोटे फूल लगते हैं, जिनसे नीला रंग तैयार किया जाता है। विशेष–यह पौधा मूलतः भारतीय है और इसकी लगभग ३॰॰ जातियाँ हैं। बहुत प्राचीन काल से इस पौधे का रंग भारत से विदेशों को जाता रहा है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसके पौधों की खेती की व्यापारिक दृष्टि से विस्तृत व्याख्या की थी। अब भी इसके रंग का उपयोग अनेक औद्योगिक कार्यो में होता है। अपने रंग के नीलेपन के कारण यह शब्द कलंक या लांछन का भी वाचक हो गया है। पद–नील का खेत=ऐसा स्थान जहाँ जाने पर कलंक या लांछन लगना निश्चित हो। ३. उक्त पौधे से निकाला हुआ नीला रंग जो प्रायः धुलाई, रंगाई आदि के कार्यों में आता है। (इंडिगो) पद–नील का टीका=कलंक या लांछन का काम या बात। मुहा०–(किसी की आँखों में) नील की सलाई फिरवा देना=अंधा कर देना। (यह प्राचीन काल का एक प्रकार का दंड था जिसमें नील गरम करके सलाई से आँखों में लगा दिया जाता था)। नील घोटना=व्यर्थ का ऐसा झगड़ा या बखेड़ा बढ़ाना जिससे कलंक या लांक्षन लगने के सिवा और कोई प्राप्ति सिद्धि न हो। नील जलाना= पानी बरसने के लिए नील जलाने का टोटका करना। नील बिगड़ना=(क) आचरण, चाल-चलन या रंग-ढंग खराब होना। (ख) किसी काम, चीज या बात का बुरी तरह से खराब होना या बिगड़ना। (ग) खराबी या दुर्दशा के दिन या समय आना। (घ) बहुत बड़ी खराबी या हानि होना। (नील के पौधों से नील (रंग) निकालने के लिए उन्हें पानी में भिगो कर सड़ाया और मथा जाता था। यदि इस प्रक्रिया में कोई त्रुटि होती थी तो नील (रंग) तैयार नहीं होता था। इसी आदार पर उक्त मुहावरा बना है; और उसमें कई प्रकार के अर्थ लगाए गए हैं।) ४. शरीर पर चोट लगने या मार पड़ने के कारण होनेवाला दाग जो बहुत कुछ नीले रंग का होता है। क्रि० प्र०–पड़ना। मुहा०–नील डालना=इतना पीटना या मारना कि शरीर पर नीले रंग का दाग पड़ जाय। ५. राम की सेना का एक बंदर। ६. एक नाग का नाम। ७. राजा अजमीढ़ का एक पुत्र जो नीलनी के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। ८. महाभारत के अनुसार माहिष्मती का एक राजा जिसकी एक अत्यन्त सुन्दर कन्या थी। उस पर मोहित होकर अग्नि देवता ब्राह्मण के वेश में राजा से कन्या माँगने आये। कन्या पाकर अग्नि देवता ने राजा को वर दिया था कि तुम पर जो चढ़ाई करेगा वह भस्म हो जायेगा। जब राजसूद के समय सहदेव ने महिष्मती पर चढ़ाई की थी, तब उसकी सेना भस्म होने लगी थी, पर सहदेव के प्रार्थना करने पर अग्निदेव ने प्रकट होकर बीच-बिचाव किया और दोनों को संतुष्ट करके युद्ध बंद कराया था। ९. यम का एक नाम। १॰. मंजुश्री का एक नाम। ११. इंद्रनील मणि। नीलम। १२. मांगलिक घोष या शब्द। १३. वटवृक्ष। बरगद। १४. तालीशपत्र। १५. जहर। विष। १६. एक प्रकार का विजय साल। १७. काच लवण। १८. नृत्य में एक प्रकार का करण। १९. पुराणानुसार इलावृत्त खंड का एक पर्वत जो रम्यक वर्ष की सीमा पर है। २॰. पुराणानुसार नौ विधियों में से एक। २१. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में २१ वर्ण होते हैं। २२. दस हजार अरब या खरब की संख्या जो इस प्रकार लिखी जाती है।–१॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰।
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नील-कंठ  : वि० [सं० ब० स०] जिसका कंठ या गला नीला हो। पुं० १. शिव का एक नाम जो इसलिए पड़ा था कि समुद्र मंथन से निकला हुआ विष उन्होंने अपने गले में रख लिया था, जिससे उनका गला नीला हो गया था। २. मयूर। मोर। ३. एक प्रकार की छोटी चिड़िया जिसका गला और डैने नीले होते हैं। ४. गौरा पक्षी। चटक। ५. मूली। ६. पिया-साल।
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नीलकंठाक्ष  : पुं० [सं० नीलकंठ-अक्ष, ब० स०] रुद्राक्ष (वृक्ष)।
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नीलकंठी  : स्त्री० [सं०] १. एक प्रकार की पहाड़ी छोटी चिड़िया, जिसकी बोली बहुत ही मधुर और सुरीली होती है। २. एक प्रकार का सुन्दर छोटा पौधा जो बगीचों में शोभा के लिए लगाया जाता है।
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नीलकंठीर  : पुं०=नील-कंठ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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नील-कंद  : पुं० [सं० ब० स०] भैंसा कंद। महिष्कंद। शुभ्रालु।
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नीलक  : पुं० [सं० नील+कन्] १. काच। लवण। २. बीदरी लोहा। ३. बीजगणित में एक प्रकार की अव्यक्त राशि। ४. मटर। ५. भ्रमर। भौंरा। ६. पिया-साल। ७. काला घोड़ा।
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नील-कण  : पुं० [सं० ष० त०] १. नीलम का कण या टुकड़ा। २. गोदे हुए गोदने का छोटा चिन्ह या बिन्दु।
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नीलकणा  : स्त्री० [सं० ब० स०, टाप्] काला जीरा।
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नीलकांत  : पुं० [ब० स०] १. विष्णु। २. इन्द्रनील मणि। नीलम। ३. एक प्रकार की पहाड़ी चिड़िया जिसका सिर, पैर और कंठ के नीचे का भाग काला होता है और पूँछ नीली होती है। दिगदल।
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नील-केशी  : स्त्री० [ब० स०, ङीष्] नील का पौधा।
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नीलक्रांता  : स्त्री० [तृ० त०] कृष्णा पराजिता (लता)।
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नीलक्रौंच  : पुं० [कर्म० स०] काले रंग का बगला।
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नीलगंगा  : स्त्री० [सं०] एक प्राचीन नदी।
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नीलगाय  : स्त्री० [हिं० नील+गाय] गाय के आकार का एक तरह का नीलापन लिये भूरे रंग का वन्य-पशु। गवय। रोझ।
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नीलगिरि  : पुं० [सं०] दक्षिण भारत का एक पर्वत।
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नीलग्रीव  : पुं०=नीलकंठ (शिव)।
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नीलचक्र  : पुं० [कर्म० स०] १. जगन्नाथजी के मंदिर के शिखर पर स्थित एक चक्र। २. दंडक वृत्त का एक भेद।
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नीलचर्मा (र्मन्)  : वि० [ब० स०] जिसका चमड़ा नीले रंग का हो। पुं० फालसा।
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नीलच्छद  : वि० [नील-छद, ब० स०] जिसके ऊपर नीले रंग का आवरण हो। पुं० १. गरुड़। २. खजूर।
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नीलज  : वि० [सं०√जन् (उत्पत्ति)+ड] नील से उत्पन्न। पुं० एक तरह का लोहा। वर्मलोह।
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नीलजा  : स्त्री० [सं० नीलज+टाप्] नील पर्वत से उत्पन्न वितस्ता (झेलम) नदी।
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नीलज्ज  : वि०=निर्लज्ज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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नीलझिंटी  : स्त्री० [कर्म० स०] नीली कठसरैया।
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नील-तरा  : स्त्री० [सं०] गांधार देश की एक प्राचीन नदी जो उरुवेलारण्य से होकर बहती थी। यहीं पहुँचकर बुद्धदेव ने उरुवेल काश्यप, गया काश्यप और नदी काश्यप नामक तीन भाइयों का अभिमान दूर किया था। (बौद्ध)
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नील-तरु  : पुं० [कर्म० स०] नारियल।
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नीलता  : स्त्री० [सं० नील+तल्+टाप्] १. रंग के विचार से नीले होने की अवस्था या भाव। नीलापन। नीलिमा। २. कालापन। स्याही।
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नील-ताल  : पुं० [कर्म० स०] १. स्याम तमाल। हिताल। २. तमाल वृक्ष।
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नील दूर्वा  : पुं० [कर्म० स०] हरी दूब।
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नील-द्रुम  : पुं० [कर्म० स०] असन वृक्ष।
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नीलध्वज  : पुं० [उपमि० स०] १. तमाल वृक्ष। २. [ब० स०] एक राजा।
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नील-निर्यासक  : पुं० [ब० स०, कप्] पियासाल का पेड़।
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नील-निलय  : पुं० [ष० त०] आकाश।
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नील-पंक  : पुं० [उपमि० स०] १. काला कीचड़। २. अंधकार। अँधेरा।
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नील-पत्र  : पुं० [ब० स०] १. नील कमल। २. गोनरा नामक घास जिसकी जड़ में कसेरू होता है। ३. अनार। ४. विजयसाल। (वृक्ष)
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नीलपत्रिका, नीलपत्री  : स्त्री० [ब० स०,+कप्+टाप्, इत्व, ब० स०, ङीष्] १. नील का पौधा। २. कृष्णताल-मूली।
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नील-पद्म  : पुं० [कर्म० स०] नीले रंग का कमल।
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नील-पर्ण  : पुं० [ब० स०] बृंदार वृक्ष।
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नील-पिच्छ  : पुं० [ब० स०] बाज (पक्षी)।
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नील-पुष्प  : पुं० [कर्म० स०] १. नीला फूल। २. [ब० स०] नीली भंगरैया। ३. काला कोराठा। ४. गठिवन।
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नील-पुष्पा  : स्त्री० [ब० स०, टाप्] १. नील का पौधा। २. अलसी। तीसी।
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नील-पुष्पिका  : स्त्री०=नील-पुष्पा।
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नील-पृष्ठ  : पुं० [ब० स०] अग्नि।
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नील-फला  : स्त्री० [ब० स०, टाप्] १. जामुन। २. बैंगन। भंटा।
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नीलबरी  : स्त्री० [सं० नील+हिं० बरी] कच्चे नील की बट्टी।
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नील-बिरई  : स्त्री० [हिं० नील+बिरई] सनाय का पौधा।
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नील-भृंगराज  : पुं० [कर्म० स०] नीला भँगरा।
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नीलम  : पुं० [फा० मिलाओ सं० नीलमणि] नीले रंग का एक प्रसिद्ध रत्न। (सैफायर) २. एक प्रकार का बढ़िया आम। स्त्री० पुरानी चाल की एक तरह की तलवार।
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नील-मणि  : पुं० [कर्म० स०] नीलम। (रत्न)
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नील-माष  : पुं० [कर्म० स०] काला उड़द।
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नील-मीलिका  : स्त्री० [सं० नील-मील, मध्य० स०+ठन्-इक, टाप्] जुगनूँ।
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नील-मृत्तिका  : स्त्री० [कर्म० स०] काली मिट्टी।
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नीलमोर  : पुं० [हिं० नील+मोर] कुरही (पक्षी)।
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नील-लोह  : पुं० [कर्म० स०] बीदरी लोहा।
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नील-लोहित  : वि० [कर्म० स०] नीलापन लिये लाल। बैंगनी। पुं० महादेव। शिव।
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नील-लोहिता  : स्त्री० [कर्म० स०] १. जामुन की एक जाति। २. पार्वती।
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नीलवर्ण  : वि० [ब० स०] नीले रंग का।
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नील-वल्ली  : स्त्री० [कर्म० स०] बदाक बाँदा। परगाछा।
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नील-वसन  : वि० [ब० स०] जिसने नीले रंग के वस्त्र पहने हों। पुं० १. [कर्म० स०] नीला कपड़ा। २. [ब० स०] शनिग्रह। ३. बलराम।
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नील-वानर  : पुं० [कर्म० स०] दक्षिण भारत के पश्चिमी तट पर रहनेवाले एक तरह के बंदर जिनके चेहरे पर चारों ओर लंबे और घने बाल होते हैं।
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नीलवासा (सस्)  : वि०=नील वसन। पुं० शनिग्रह।
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नीलवीज  : पुं० [ब० स०] पिया-साल।
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नील-वृत्त  : पुं० [ब० स०] तूल। रूई।
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नील-वृष  : पुं० [कर्म० स०] लाल रंग का ऐसा साँड़ जिसका मुँह सिर पूँछ और खुर सफेद हों। विशेष–ऐसा साँड़ श्राद्ध में उत्सर्ग करने के लिए प्रशस्त माना गया है।
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नील-वृषा  : स्त्री० [सं० नील√वृष् (उत्पादन)+क+टाप्] बैंगन।
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नील-वेणी  : स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।
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नील-शिखंड  : पुं० [ब० स०] रुद्र का भेद।
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नील-शिग्रु  : पुं० [कर्म० स०] सहिंजन का पेड़। शोभांजन।
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नील-संध्या  : स्त्री० [उपमि० स०] कृष्णा पराजिता।
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नील-सार  : पुं० [ब० स०] तेंदू का पेड़।
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नील-सिर  : स्त्री० [हिं० नील+सिर] एक तरह की बत्तख जिसके सिर का रंग नीला होता है।
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नील-स्वरूप (क)  : पुं० [ब० स०, कप्] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः तीन तीन भगण और दो दो गुरु अक्षर होते हैं।
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नीलांग  : वि० [नील-अंग, ब० स०] जिसके अंग नीले रंग के हों। नीले अंगोंवाला। पुं० सारस (पक्षी)।
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नीलांजन  : पुं० [नील-अंजन, कर्म० स०] १. नीला सुरमा। २. तूतिया।
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नीलांजना  : स्त्री० [सं० नील√अंज् (मिलाना)+णिच्+ल्यु–अन, टाप्] १. बिजली। नीलांजनी। २. काली कपास।
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नीलांजनी  : स्त्री० [सं० नीलांजन+ङीष्]=नीलांजना।
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नीलांजसा  : स्त्री० [सं०] १. बिजली। विद्युत। २. एक अप्सरा का नाम। ३. एक प्राचीन नदी।
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नीलांबर  : वि० [सं० नील-अंबर, ब० स०] नीले कपड़ेवाला। नीला वस्त्र धारण करनेवाला। पुं० १. नीले रंग का कपड़ा। २. बलदेव। ३. शनैश्चर। ४. राक्षस। ५. तालीशपत्र।
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नीलांबरी  : स्त्री० [सं० नीलांबर+ङीष्] संगीत में एक प्रकार की रागिनी।
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नीलांबुज  : पुं० [नील-अंबुज, कर्म० स०] नील कमल।
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नीला  : वि० [सं० नील] [स्त्री० नीली] आकाश या नील की तरह के रंग का। नील वर्ण का। आसमानी। (ब्ल्यू) विशेष–राजस्थान में प्रायः हरा (रंग) ही नीला कहलाता है। मुहा०–(किसी को नीला करना)=मारते मारते शरीर पर नीले दाग डालना। बहुत मार मारना। चेहरा नीला पड़ना=भय आदि के कारण चेहरे का रंग उतर जाना। चेहरा या हाथ पैर नीले पड़ना=चेहरे या शरीर का रंग इस प्रकार बदल जाना कि मानों शरीर में रक्त ही न रह गया हो। पुं० १. इंद्र नील मणि। २. नीलम। ३. एक प्रकार का कबूतर। स्त्री० १. नीली मक्खी। २. नीली पुनर्नवा। ३. नील का पौधा। ४. एक प्रकार की लता। ५. एक प्राचीन नदी। ६. संगीत में एक प्रकार की रागिनी जो मल्लार राग की भार्या कही गई है।
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नीलाक्ष  : वि० [नील-अक्षि, ब० स०] नीली आँखोंवाला। जिसकी आँखें नीले रंग की हों। पुं० राजहंस।
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नीलाचल  : पुं० [नील-अंचल, कर्म० स०] १. नील गिरि पर्वत। २. जगन्नाथ पुरी के पास की एक छोटी पहाड़ी।
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नीलाणी  : स्त्री० [हिं० नीला=हरा] हरियाली। (डिं०)
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नीला थोथा  : पुं० [सं० नील तुत्थ] ताँबे की एक उपधातु जो कृत्रिम और खनिज दो प्रकार की होती है। तूतिया।
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नीलाम  : पुं० [पुर्त,लेलम् या लेइलम्] १. वस्तुओं की होनेवाली वह सार्वजनिक बिक्री जिसमें सबसे अधिक या बढ़कर दाम लगानेवाले के हाथ वस्तुएँ बेची जाती हैं। २. इस प्रकार की चीजें बेचने की क्रिया, ढंग या भाव। विशेष–हमारे यहां इस प्रकार की विक्रय-प्रथा को ‘प्रतिक्रोश’ कहते थे। मुहा०–(किसी चीज का) नीलाम पर चढ़ना=किसी चीज का ऐसी स्थिति में आना कि उसकी बिक्री नीलाम के रूप में हो। जैसे–अदालत की आज्ञा से उसका मकान नीलाम पर चढ़ा है।
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नीलामघर  : पुं० [हिं० नीलाम+घर] वह स्थान जहां चीजें नीलाम की जाती हों।
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नीलामी  : वि० [हिं० नीलाम] नीलाम के रूप में बिकनेवाला या बिका हुआ। जैसे–नीलामी घड़ी। स्त्री० दे० ‘नीलाम’।
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नीलाम्ला  : स्त्री० [नीला-अम्ला, कर्म० स०] नीली कठसरैया।
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नीलाम्लान  : पुं० [नील-आम्लान, कर्म० स०] १. एक प्रकार का पौधा जिसमें सु्न्दर फूल लगते हैं। काला कोराठा। २. उक्त पौधे का फूल।
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नीलारुण  : पुं० [नील-अरुण, कर्म० स०] ऊषा।
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नीलालक  : वि० [सं० नील-अलक, ब० स०] [स्त्री० नीला लका] नीले या काले बालोंवाला। उदा०–घन नीलालका दामिनी जित ललना वह।–निराला।
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नीलालु  : पुं० [नील-आलु, कर्म० स०] एक तरह का कंद।
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नीलालेप  : पुं० [सं०] बालों में लगाया जानेवाला खिजाब।
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नीलावती  : स्त्री० [सं० नीलवती] एक तरह का चावल।
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नीलाशी  : स्त्री० [सं० नील्√अश् (व्याप्ति)+अण्,+ङीप्] नीला सिंदुवार।
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नीलाश्म (न्)  : पुं० [नील-अश्मन्, कर्म० स०] नीलम।
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नीलाश्व  : पुं० [सं०] एक प्राचीन देश।
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नीलासन  : पुं० [नील-असन, कर्म० स०] १. पियासल का पेड़। २. कामशास्त्र में एक प्रकार का आसन या रतिबंध।
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नीलाहट  : स्त्री० [हिं० नीला+आहट (प्रत्य०)] किसी चीज में दिखाई पड़नेवाली हलके नीले रंग की झलक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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नीलि  : स्त्री० [सं०√नील्+इन्] १. नील का पौधा। २. नीलिका रोग। ३. एक प्रकार का जल-जंतु। ४. नीलिका अर्थात् आँखें तिलमिलाने का रोग। वि०=नीला।
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नीलिका  : स्त्री० [सं० नीली+कन्+टाप्, ह्रस्व] १. नीलबरी। २. नीला संभालू। नीली निर्गुंडी। ३. आँखें तिलमिलाने का रोग। लिंगनाथ। ४. आघात, चोट आदि लगने पर शरीर पर पड़ा हुआ नीला दाग। नील।
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नीलिका-मुद्रण  : पुं० [मध्य० स०] १. एक प्रकार की छपाई जिसमें नीली जमीन पर सफेद अक्षर और सफेद रेखाएँ अंकित होती हैं। (ब्ल्यू प्रिंटिग) २. उक्त प्रकार से छापा हुआ कागज। (ब्ल्यू प्रिंट) विशेष–प्रायः जमीनों मकानों आदि के नकशे आज-कल इसी रूप में छपते या बनते हैं।
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नीलिनी  : स्त्री० [सं० नील+इनि+ङीप्] १. नील का पौधा। २. नील।
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नीलिमा  : स्त्री० [स० नील+इमानिच्] १. नील होने की अवस्था, गुण या भाव। नीलापन। २. कालापन। श्यामलता। स्याही।
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नीली  : स्त्री० दे० ‘नीलि’ और ‘नीलिका’। वि० हिं० ‘नीला’ का स्त्री०।
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नीली कर्म  : पुं० [सं०] सिर के बाल रँगने की क्रिया। खिजाब लगाना।
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नीली घोड़ी  : स्त्री० [हिं० नीली+घोड़ी] एक प्रकार का स्वाँग जिसमें जामे के साथ सिली हुई कागज की ऐसी घोड़ी होती है जिसे पहन लेने से जान पड़ता है कि आदमी घोड़े पर सवार है। पहले डफाली इसे पहन कर गीत गाते हुए भीख माँगने निकलते थे।
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नीली चकरी  : स्त्री० [हिं० नीली+चकरी] एक तरह का पौधा।
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नीली चाय  : स्त्री० [हिं० नीली+चाय] अगिया घास या यज्ञकुश।
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नीली राग  : पुं० [सं० नील+अच्+ङीष्, नीली राग उपमि० स०] १. प्रगाढ़ प्रेम। २. [ब० स०] घनिष्ठ मित्र।
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नीली संधान  : पुं० [ष० त०] नील का खमीर।
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नीलू  : स्त्री० [हिं० नील] एक तरह की घास। पलवान।
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नीलोत्पल  : पुं० [नील-उत्पल, कर्म० स०] नील कमल।
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नीलोत्पली (लिन्)  : पुं० [सं० नीलोत्पल+इनि] १. शिव का एक अंश। २. बौद्ध महात्मा मंजुश्री का एक नाम।
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नीलोफर  : पुं० [सं० नीलोत्पल से फा०] १. नील कमल। २. कुमुदनी। कोई।
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