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मत्ता  : स्त्री० [सं० मत्त+टाप्] १. बारह अक्षरों का एक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में मगण, भगण, सगण और एक गुरु होता है और ४, ६ पर यदि होती है। २. मदिरा। शराब। स्त्री० [सं० मत् का भाव] सं० मत का वह रूप जो भाव वाचक शब्द बनाने के लिए प्रत्यय के रूप में अन्त में लगता है। जैसे—नीति मत्ता, बुद्धिमत्ता आदि। स्त्री०=मात्रा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मत्ता-क्रीड़ा  : स्त्री० [सं० ब० स०] तेईस अक्षरों का एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः दो मगण, एक तगण, चार नगण एक लघु और एक गुरु अक्षर होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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