शब्द का अर्थ
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मुल :
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अव्य० [सं० मूल] १. मूलत बात यह है कि। मतलब यह कि। २. किन्तु। अगर। लेकिन। ३. अन्ततः। में। आखिरकार। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मुलक :
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स्त्री० [हिं० मुलकना] मुलकने की क्रिया या भाव। पुलक। पुं० =मुल्क (देश)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मुलकना :
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अ० [हिं० मुलकित०] १. पुलकित होना। उदाहरण—चँद मुलक्क्यउ, जल हँस्यउ, जलहर कंपी पाल।—ढोला मारू। २. मुस्कराना। उदाहरण—सकुचि सरकि पिय निकट तें, मुलकि कछुक तन तोरि।—बिहारी। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मुलकित :
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वि० [सं० पुलकित] मन्द मन्द हँसता हुआ। मुस्कराता हुआ। |
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मुलकी :
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स्त्री०=मुलक। वि० =मुल्की। |
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मुलजिम :
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वि० [अ० मुलज़म़] १. जिस पर किसी प्रकार का इलजाम लागाय गया हो। २. अपराधी |
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मुलतवी :
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वि० [अ० मुल्तवी] (कार्य आदि) जिसके संपादन को टाल दिया गया हो। स्थगित। जैसे—मुकदमा मुलतवी हो जायगा। |
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मुलतानी :
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वि० [हिं० मुलतान (नगर)] १. मुलतान संबंधी। २. मुलतान प्रदेश में होनेवाला। जैसे—मुलतानी मिट्टी। पुं० मुलतान का निवासी। स्त्री० १. मुलतान और उसके आस-पास की बोली जो पश्चिमी पंजाबी की एक शाखा है। २. दोपहर के समय गाई जानेवाली एक रागिनी जिसमें गांधार और धैवत् कोमल, शुद्ध निषाद और तीव्र मध्यम लगता है। ३. एक प्रकार की बहुत कोमल और चिकनी मिट्टी जो प्रायः सिर मलने में साबुन की तरह काम में आती है। साधु आदि इससे कपड़ा भी रँगते हैं। मुलतानी मिट्टी। मुहावरा—मुलतानी करना=छींट छापने के पहले कपड़े को मुलतानी मिट्टी में रँगना। वि० उक्त प्रकार की मिट्टी के रंग का। केवड़ई (क्रीम) पुं० उक्त प्रकार की मिट्टी के रंग से मिलता जुलता एक प्रकार का रंग। केवड़ई। केवड़ी (क्रीम)। |
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मुलतानी-धनाश्री :
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स्त्री० ओड़व संपूर्ण जाति की एक संकर रागिनी जो दिन के तीसरे पहर में गाई जाती है। |
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मुलतानी मिट्टी :
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स्त्री० दे० ‘मुलतानी’ के अंतर्गत। |
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मुलना :
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पुं० =मुल्ला (मुस्लिम धर्माचार्य)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मुलमची :
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पुं० [अ० मुलम्मः+ची, फा० च (प्रत्यय)] किसी चीज पर सोने चाँदी, आदि का मुलम्मा करनेवाला। गिलट करनेवाला। मुलम्मासाज। |
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मुलमुलाना :
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अ० [अनु०] आँखों की पलकों का बार बार झपकना या उठते और गिरते रहना जो एक प्रकार का रोग माना जाता है। (ब्लिंकिंग) |
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मुलम्मा :
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वि० [अ० मुलम्मः] चमकता हुआ। पुं० १. सस्ती धातुओं पर रासायनिक प्रक्रियाओं से किया हुआ बहुमूल्य धातु का ऐसा लेप जिसमें वह देखने में सुन्दर और बहुमूल्य जान पड़ती हो। जैसे—गिलट पर चाँदी का मुलम्मा, चाँदी पर सोने का मुलम्मा। क्रि० प्र०—करना।—चढ़ना।—चढ़ाना।—होना। २. कलई। ३. किसी साधारण या तुच्छ चीज को आकर्षण रूप देने की क्रिया या भाव। ४. ऊपर या बाहर से बनाया हुआ कोई ऐसा रूप जिसमें अन्दर की त्रुटि या दोष दब जाय, और देखने पर चीज आकर्षक और बहुमूल्य जान पड़े। ५. ऊपरी तड़क-भड़क। |
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मुलम्माकार, मुलम्मागर :
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पुं० दे० ‘मुलम्मासाज’। |
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मुलम्मासाज :
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पुं० [अ० मुलम्मः+फा० साज] [भाव० मुलम्मासाजी] १. मुलम्मा करनेवाला कारीगर। मुलमची। २. वह व्यक्ति जो साधारण-सी बात को चिकनाकर बहुत ही आकर्षण रूप में प्रस्तुत करता हो। |
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मुलहठी :
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स्त्री०=मुलेठी। |
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मुलहा :
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वि० [सं० मूल=नक्षत्र+हा (प्रत्यय)] १. जिसका जन्म मूल नक्षत्र में हुआ हो। २. दे० ‘मुरहा’। |
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मुलहिक :
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वि० [अ० मुल्हिक़] किसी के साथ मिला या लगा हुआ। संलग्न। |
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मुलाँ :
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पुं० =मुल्ला। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मुला :
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अव्य०=मुल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मुलाकात :
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स्त्री० [अ० मुलाक़ात] १. दो व्यक्तियों में होनेवाला साक्षात्कार। भेंट। २. जान-पहचान की अवस्था। ३. मैथुन। संभोग रति-क्रीड़ा। |
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मुलाकाती :
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वि० [अ० मुलाक़ाती] १. व्यक्ति जिससे मुलाकात अर्थात् भेंट प्रायः या नित्य होती रहती हो। २. जान-पहचानी। परिचित। |
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मुलाजमत :
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स्त्री० [अ० मुलाज़मत] १. मुलजिम होने अर्थात् किसी की सेवा में रहने या होने का भाव। २. नौकरी। |
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मुलजिम :
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वि० [अ० मुलाज़िम] १. सेवा में रहनेवाला। २. प्रस्तुत या उपस्थित रहनेवाला। पुं० नौकर। सेवक। |
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मुलाज़िमत :
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स्त्री०=मुलाज़मत। |
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मुलाम :
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वि०=मुलायम। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मुलायम :
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वि० [अ० मुलाइम] १. (पदार्थ) जिसका तल इतना कोमल और चिकना हो कि दबाने से सहज में दब जाय। जो कड़ा और खुरदरा या रूखा न हो। कोमल। ‘कड़ा’ और ‘सख्त’ का विपर्याय। २. नाजुक। सुकुमार। ३. जिमसें किसी प्रकार की कठोरता, कर्कशता या तीव्रता न हो। जैसे—मुलायम स्वभाव। |
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मुलायम-रोआँ :
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पुं० [हिं० मुलायम+रोआँ] भेड़, बकरी आदि का सफेद और लाल रोआँ जो मुलायम होता है। |
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मुलायमियत :
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स्त्री० [हिं० मुलायम] मुलायम होने का भाव। |
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मुलाहज़ा :
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पुं० [अ० मुलाहज़ः] १. देख-भाल। निरीक्षण। जैसे—जरा मुलाहजा कीजिए, इसमें कितनी चमक है। २. ऐसा शील या संकोच जो किसी के सामने कोई अनुचित या अप्रिय बात न होने दे। जैसे—मैं तो उन्हीं के मुलाहजे में, तुम्हें छोड़े चलता हूँ। |
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मुलाहिजा :
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पुं० =मुलाहजा। |
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मुलुक :
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पुं० =मुल्क। |
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मुलेठी :
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स्त्री० [सं० मधुयष्टि, मुलयष्टी, प्रा० मूलयट्ठी] १. उष्ण प्रदेशों की काली मिट्टी में होनेवाली एक लता। उक्त लता की जड़ जो वैद्यक के मत में बलवर्धक होती है, तथा तृष्णा, ग्लानि और क्षय नाशक होती है। |
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मुल्क :
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पुं० [अ०] १. बड़ा देश। २. देश का छोटा विभाग। प्रदेश। प्रान्त। ३. जगत्। संसार। |
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मुल्कगीरी :
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स्त्री० [अ० मुल्क+फा० गीरी] देशों को जीतना। देश-विजय। |
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मुल्की :
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वि० [अ० मुल्क] १. मुल्क या देश सम्बन्धी। २. मुल्क की शासन-व्यवस्था से सम्बन्ध रखनेवाला। राजनीतिज्ञ। देशी। (विदेशी या विलायती’ का विपर्याय)। पुं० एक प्रकार का संवत् जो सौर श्रवण की पहली तिथि से प्रारम्भ होता है। |
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मुल्तजी :
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वि० [अ०] इल्तिजा अर्थात् प्रार्थना या मिन्नत करनेवाला। |
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मुल्तवी :
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वि० =मुतलवी। |
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मुल्लह :
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पुं० [देश] वह पक्षी जो पैर बाँधकर जाल में इसलिए छोड़ दिया जाता है कि उसे देखकर और पक्षी आकर जाल में फँसे। कुट्टा। वि० बहुत अधिक सीधा-सादा या मूर्ख। |
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मुल्ला :
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पुं० [अ०] १. मुसलमानी धर्म-शास्त्र का आचार्य या विद्वान। २. मकतब में छोटे बच्चों को पढानेवाला मुसलमान शिक्षक। |
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मुल्लाना :
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पुं० [हिं०] मुल्ला के लिए उपेक्षासूचक शब्द। |
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मुलगौन :
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पुं० [?] नाचने-गानेवाली मंडली का वह व्यक्ति जो दूसरे साथियों को गाना और नाचना सिखाता हो। पूरब। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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