शब्द का अर्थ
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मुश्क :
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पुं० [फा०] १. कस्तूरी। मृगमद मृगनाभि। २. गन्ध। बू। ३. दे० ‘कस्तूरी मृग’। स्त्री० [देश] कंधे और कोहनी के बीच का भाग। भुजा। बाँह। मुहावरा—(किसी की) बातें कसना या बाँधना= (अपराधी आदि की) दोनों भुजाओं को पीठ की ओर करके बाँध देना। (इससे आदमी बेबस हो जाता है)। |
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समानार्थी शब्द-
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मुश्क-दाना :
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पुं० [फा०] एक प्रकार की लता का बीज जो इलायची के दाने के समान होता है और जिसके अन्दर से कस्तूरी की सी सुगंध निकलती है। |
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मुश्क-नाफा :
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पुं० [फा० मुश्के-नाफ़ः] कस्तूरी मृग का नाफा या थैली जिसके अन्दर कस्तूरी रहती है। |
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मुश्कनाभ :
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पुं० [फा० मुश्क+सं० नाभ]=मुश्कनाफा। |
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मुश्क-बिलाई :
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स्त्री० [फा० मुश्क+हिं० बिलाई=बिल्ली] एक प्रकार का जंगली विलाब जिसके अंडकोशों का पसीना बहुत सुगंधित होता है। गंधबिलाव। |
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मुश्कबू :
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वि० [फा०] जिसकी बू कस्तूरी जैसी हो। |
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मुश्क-मेंहदी :
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स्त्री० [फा० मश्क+महदी] एक प्रकार का छोटा पौधा जो उपवन में शोभा के लिए लगाया जाता है। |
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मुश्किल :
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वि० [अ०] (काम) जो करने में बहुत कठिन हो। दुष्कर। दुस्साध्य। स्त्री० १. कठिनता दिक्कत। २. विपत्ती। संकट। ३. पेचीदगी। |
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मुश्की :
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वि० [फा० मुश्की] १. मुश्क अर्थात् कस्तूरी के रंग का। काला। श्याम। २. जिसमें कस्तूरी पड़ी या मिली हो। जैसे—मुश्की तमाकू। ३. मुश्क जैसा सुगंधित। पुं० ऐसा घोड़ा जिसके सारे शरीर का रंग काला हो। |
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