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समस्य  : वि० [सं० सम√अस् (होना)+ण्यत्-क्यव वा] १. जो किसी के सात मिलाया जा सके या मिलाया जाने को हो। २. (पद या शब्द) जिन्हें व्याकरण के अनुसार समास के रूप में मिलाया जा सकता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
समस्यमान्  : वि० [सं०] (व्याकरण में वह पद) जो किसी दूसरे पद के साथ मिलकर समस्त पद बनाता हो या बना सकता हो।
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समस्या  : स्त्री० [सं० समस्य-टाप्] १. मिलने की क्रिया या भाव। मिलन। २. मिश्रण। संघटन। ३. उलझनवाली ऐसी विचारणीय बात जिसका निरारण सहज में न हो सकता हो। कठिन या विकट प्रसंग (प्रॉब्लेम)। ४. छंद श्लोक आदि का ऐसा अंतिम चरण या पद जो काव्य रचना के कौशल की परीक्षा करने के लिए इस उद्देश्य से कवियों के सामने रखा जाता है कि वे उसके आधार पर अथवा उसके अनुरूप पूरा छंद या श्लेक प्रस्तुत करें। क्रि० प्र०—देना।—पूर्ति करना।
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समस्या-पूर्ति  : स्त्री० [सं० ष० त०] साहित्यिक क्षेत्र में किसी समस्या के आधार पर कोई छंद या श्लोक बनाकर तैयार करना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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