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साधक  : वि० [सं०√साध् (सिद्ध होना)+ण्वुल्—अक] [स्त्री० साधिका] १. साधना करनेवाला। २. साधनेवाला। ३. जो साध्य या ध्येय की प्राप्ति में साधन बना हो फलतः सहायक हुआ हो। पुं० वह जो आध्यात्मिक या धार्मिक क्षेत्र में फल-प्राप्ति के उद्देश्य से किसी प्रकार साधना में लगा हुआ हो। जैसे—तांत्रिक, योगी, तपस्वी आदि। २. कोई ऐसी चीज या बात जिससे कोई कार्य पूरा या सिद्ध करने में सहायता मिलती हो। जरिया। वसीला। साधन। ३. वह जो किसी काम या बात में अनुकूल रहकर सहायक होता हो। ४. वह जो ऊपर से तटस्थ रहकर, परन्तु मन में कपट रखकर किसी का दुष्ट उद्देश्य सिद्ध करनें में सहायक होता हो। जैसे—वे दोनों सिद्ध साधक बनकर मेरे पास आये थे। पद—सिद्ध-साधक। (देखें) ५. न्याय में, वह लक्षण जिसके आधार पर कोई बात सिद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। हेतु। ६. भूत-प्रेत आदि को साधने या अपने वश में करनेवाला। ओझा। ७. पुत्रजीव नामक वृक्ष। ८. दमनक। दौना। ९. पित्त।
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साधकता  : स्त्री० [सं० साधक+तल्—टाप्] १. साधक होने की अवस्था या भाव। २. उपयुक्तता। ३. उपयोगिता।
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साधकत्व  : पुं० [पुं० साधक+त्व] १. साधकता। २. जादू या बाजीगरी। ३. सिद्धि।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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