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शब्द का अर्थ

सिंघ  : पुं०=सिंह (शेर)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
सिंघल  : पुं०=सिंहल द्वीप।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सिंघली  : वि०=सिंहली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सिंघाड़ा  : पुं० [सं० श्रृंगाटक] १. पानी में होने वाला एक पौधा। २. उक्त पौधे का फल जिसके दोनों ओर सींगों की तरह दो काँटे होते हैं। पानी-फल। (वाँटर चेस्टनट) ३. चित्र-कला में पत्तों की तरह का तिकोना अंकन। ४. सिंघाड़े के आकार की तिकोनी सिलाई या बेल-बूटे। ५. समोसा नामक पकवान। ६. एक प्रकार की मुनिया (पक्षी)। ७. एक प्रकार की आतिशबाजी। ८. रहट की लाट में ठोकी हुई लकड़ी जो लाट को पीछे की ओर घूमने से रोकती है। ९. सुनारों का एक औजार जिससे वे माला बनाते हैं।
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सिंघाड़ी  : स्त्री० [हिं० सिंघाड़ा+ई (प्रत्य)] वह ताल जिसमें सिंघाड़ा होता है।
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सिंघाण  : वि० दे० ‘सिंहाण’
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सिंघाली  : वि० [सं० सिंह] १. वीर। २. श्रेष्ठ। (डिं०) वि०, पुं०, स्त्री० दे० ‘सिंहली’।
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सिंघासन  : पुं०=सिंहासन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सिंघिनी  : स्त्री० सिंहिनी (सिंह का मादा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सिंघिया  : पुं०=सिंगिया (विष)।
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सिंघी  : स्त्री० [हिं० सींग] १. सोंठ। शुंठी। २. दे० सिंगी। स्त्री०=सिंगिया (विष)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सिंघू  : पुं० [देश०] एक प्रकार का जीरा जो फारस से आता है और प्रायः काले जीरे की तरह होता है।
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सिंघेला  : पुं० [हिं० सिंघ+एला (प्रत्य०)] १. शेर का बच्चा। २. वीरपुत्र।
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