शब्द का अर्थ
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सुनंद :
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पुं० [सं०] १. एक देव-पुत्र। २. बलराम का मूसल। ३. कुजृंभ नामक दैत्य का मूसल जो विश्वकर्मा का बनाया हुआ माना जाता है। ४. वास्तुशास्त्र में बारह प्रकार के राजभवनों में से एक। वि० आनंददायक। |
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सुनंदन :
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पुं० [सं०] कृष्ण के एक पुत्र का नाम (पुराण०)। |
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सुनंदा :
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स्त्री० [सं०] १. उमा। गौरी। २. श्रीकृष्ण की एक पत्नी। ३. सार्वभौम दिग्ज की हथिनी। ४. भरत की पत्नी। ५. एक प्राचीन नदी। ६. सफेद गौ। ७. गोरोचन। ८. अर्कपत्री। इसरौल। ९. औरत। स्त्री। |
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सुनंदिनी :
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स्त्री० [सं०] १. आराम शीलता नामक पत्रशाक। २. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। |
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सुन :
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वि० १.=सुन्न। २.=शून्य। |
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सुनका :
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पुं० [देश०] चौपायों के गले का एक रोग। गरारा। घुरकवा। |
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सुन-कातर :
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पुं० [हिं० सोन+कातर] एक प्रकार का साँप। |
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सुनकार :
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वि० [हि० सुनना+कार (प्रत्यय)] जो गाना बजाना सुनने-समझनेवाला हो। अच्छी तरह ध्यानपूर्वक गुणों की परख करते हुए गाना सुननेवाला। उदाहरण–बसन्त बहार का खयाल था, और महफिल सुनकार थी।–अमृतलाल नागर। |
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सुन-किरवा :
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पुं०=सोन-किरवा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सुनक्षत्रा :
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स्त्री० [सं०] १. कर्म मास का दूसरा नक्षत्र। २. स्कंद की एक मातृका। |
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सुन-खरचा :
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पुं० [?] एक प्रकार का धान जो आश्विन के अंत और कार्तिक के आरंभ में होता है। |
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सुन-गुन :
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स्त्री० [हिं० सुनना+अनु, गुनना] १. किसी बात की बहुत दबी हुई चर्चा जो लोगों में होती है। जैसे–अविश्वास प्रस्ताव रखने की सुन-गुन इधर कुछ दिनों से होने लगी है क्रि०प्र–होना। २. वह बात या भेद जिसकी दबी हुई चर्चा सुनाई पड़ी हो। क्रि० प्र०–लगना। |
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सुनत(ति) :
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स्त्री०=सुन्नत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सुनना :
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स० [सं० श्रवण] १,. ऐसी स्थिति में होना कि कानों के द्वारा ध्वनि, शब्द आदि की अनुभूति हो। जैसे–वर्षों से इस घंटे की आवाज सुनता आया हूँ। २. सुनकर ज्ञान प्राप्त करना। जैसे–खबर सुनना। ३. किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए ध्यानपूर्वक लोग या लोगों की बातें सुनना। ४. किसी की प्रार्थना आदि पर विचार करने के लिए सहमत होना। जैसे–उन्होंने कहा है कि आपकी फरियाद सुनी जायगी। ५. कठोर वचनों का श्रवण करना। जैसे–तुम्हारे लिए दूसरों की बातें मुझे सुननी पड़ी। क्रि० प्र०–पड़ना। ६. रोग आदि के संबंध में, उपचार आदि से कम होना या बढ़ने से रुकना। |
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सुनफा :
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स्त्री० [सं०] ज्योतिष में ग्रहों का एक योग। |
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सुन-बहरी :
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स्त्री० [हि० सुन्न+बहरी] एक प्रकार का चर्म रोग जिसकी गिनती कुष्ठ रोग में होती है। |
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सुनम्य :
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वि० [सं०] १. जो सहज में झुकाया या दबाया जा सके। २. जो गीला होने पर मनमाने ढंग से और मनमाने रूप में लाया जा सके। (प्लैस्टिक)। जैसे–सुनम्य मिट्टी। पुं० आज-कल रासायनिक प्रक्रियाओं से तैयार किया हुआ गीला द्रव्य जो सभी प्रकार के साँचों में ढाला जा सकता है और जिससे खिलौने, जूते, तस्मे आदि सैकड़ों प्रकार की चीजें बनाई जाती हैं। (प्लास्टिक)। |
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सुनय :
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पुं० [सं०] उत्तम नीति। सुनीति। |
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सुनयन :
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वि० [सं०] [स्त्री० सुनयना] सुन्दर नेत्रोंवाला। पुं० मृग। हिरन। |
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सुनर :
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वि० [सं० प्रा०स०] नरों में श्रेष्ठ। पुं० अर्जुन। (डि.)। वि०=सुन्दर। स्त्री० [सं० सु+हि.नार]=सुनारि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सुनरिया :
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स्त्री०=सुन्दरी (रूपवती स्त्री)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सुनर्द :
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वि० [सं०] बहुत गरजने या जोर का शब्द करनेवाला। |
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सुनवाई :
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स्त्री० [हिं० सुनना+वाई (प्रत्यय)] १. सुनने की क्रिया या भाव। २. मुकदमे या विवाद के विचार के लिए न्यायकर्ता के द्वारा दोनों पक्षों की बातें सुनने की क्रिया या भाव (हियरिंग)। ३. किसी तरह की शिकायत या फरियाद आदि का सुना जाना। जैसे–तुम लाख चिल्लाया करो, वहाँ कुछ सुनवाई नहीं होगी। |
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सुनवैया :
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वि० [हि० सुनना+वैया (प्रत्यय)] सुनानेवाला। वि० [हि० सुनाना+वैया (प्रत्य)] सुनानेवाला। |
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सुनस :
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वि० [सं०] सुंदर नाकवाला। |
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सुनसर :
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पुं० [?] एक प्रकार का गहना। |
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सुनसन :
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वि० [सं० शून्य+स्थान] १. जिसमें व्यक्तियों का वास न हो। जैसे–सुनसान कोठरी। २. जिसमें जीवों का आवागमन न हो। जैसे–सुनसान दोपहरी। पुं० निर्जन स्थान। उजाड़। |
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सुनहरा, सुनहरी :
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वि०=सुनहला। |
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सुनहला :
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वि० [हिं० सोना] [स्त्री० सुनहली] १. सोने का बना हुआ। २. चमक, रंग आदि में सोने की तरह। (गोल्ड्न) जैसे–सुनहले फूल, सुनहली आँखें। |
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सुनहा :
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पुं० [सं० श्वान] १. कुत्ता। उदा०–दरपन केरि गुफा में सुनहा पैठा आया।–कबीर। २. कोशी नामक जन्तु। |
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सुनाई :
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स्त्री० [हिं० सुनना+आई (प्रत्य०)] १. सुनने की क्रिया या भाव। २.सुनवाई। |
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सुनाद :
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वि० [सं०] सुन्दर नादवाला। पुं० शंख। |
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सुनादक :
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वि० [सं०] सुंदर शब्द करनेवाला। पुं० शंख। |
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सुनाद-प्रिय :
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पुं० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। |
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सुनाद-विनोदनी :
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स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। |
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सुनाना :
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स० [हिं० सुनना का प्रे०] १. दूसरों को सुनने में प्रवृत्त करना। विशेषतः उस दृष्टि से ऊँचे स्वर में पढ़ना कि दूसरे के कानों तक वह पहुँच जाय। २. कोई ऐसी क्रिया करना जिससे लोग कुछ सुन सकें। जैसे–ग्रामोफून या रेडियो सुनाना। ३. अपना रोष प्रकट करने के लिए खरी-खोटी बातें कहना। जैसे–(क) भरी सभा में उन्होंने मंत्री जी को खूब सुनाई। (ख) कोई कहेगा तो चार सुनाएँगे। सं० क्रि–डालना।–देना। |
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सुनानी :
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स्त्री०=सुनावनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सुनाभ :
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पुं० [सं०] १. सुदर्शन चक्र। २. मैनाक पर्वत। वि०=सुनाभि। |
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सुनाभि :
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वि० [सं०] १. सुन्दर नाभिवाला। २. जिसका केन्द्र-स्थल सुन्दर हो। |
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सुनाम :
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पुं० [सं०] लोक में होनेवाला अच्छा नाम जो कीर्ति या यश का सूचक होता है। |
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सुनाम-द्वादशी :
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स्त्री० [सं०] एक प्रकार का व्रत जो वर्ष की बारहों शुक्ला द्वादशियों को किया जाता है। |
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सुनामा(मन्) :
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वि० [सं०] जिसका अच्छा नाम या कीर्ति हो। कीर्तिशाली। पुं० १. कंस के आठ भाइयों में से एक। २. कार्तिकेय का एक परिषद। |
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सुनामिका :
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स्त्री० [सं०] त्रायमाणा लता। |
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सुनार :
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पुं० [सं० स्वर्णकार] [स्त्री० सुनारिन, भाव० सुनारी] १. वह जिसका पेशा सोने-चाँदी के आभूषण बनाना हो। २. जो सुनारों के वंश में उत्पन्न हुआ हो। पुं० [सं०] १. कुतिया का दूध। २. साँप का अंडा। ३. चटक पक्षी। गौरैया। |
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सुनारि :
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स्त्री० [सं०] सुंदर स्त्री। सुंदरी। |
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सुनारिन :
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स्त्री० [हिं० सुनार+इन (प्रत्य०)] १. सुनार की पत्नी। २. सुनार जाति की स्त्री। |
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सुनारी :
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स्त्री० [हिं० सुनार+ई.(प्रत्य०)] १. सुनार का काम पेशा या भाव। २. दे० ‘सुनारिन’। |
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सुनाल :
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पुं० [सं०] लाल कमल। |
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सुनालक :
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पुं० [सं०] अगस्त्य का पेड़ या फूल। |
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सुनावनी :
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स्त्री [हिं० सुनाना] १. परदेश या विदेश से किसी सगे-संबंधी की मृत्यु का आया हुआ समाचार जो स्थानिक संबंधियों के पास सूचनार्थ भेजा जाता है। क्रि० प्र०–आना। २. उक्त प्रकार का समाचार आने पर सगे-संबंधियों आदि का होनेवाला सामूहिक शोक प्रकट, स्नान आदि। |
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सुनासा :
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स्त्री० [सं०] कौआ ठोढ़ी। काकनासा। |
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सुनासिक :
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वि० [सं०] सुन्दर नाकवाला। सुनास। |
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सुनासीर :
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पुं० [सं०] १. इन्द्र। २. देवता। |
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सुनाहक :
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अव्य=नाहक(व्यर्थ)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सुनिद्र :
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पुं० [सं०] खूब सोना। |
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सुनिनद :
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वि० [सं०] सुन्दर नाद या शब्द करने वाला। |
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सुनियाना :
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अ० [हिं० सोना ? + इयाना(प्रत्य०)] पौधों,फसल आदि का शीतरोग आदि से नष्ट-प्राय हो जाना।(रूहेल खंड)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सुनिरुहन :
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पुं० [सं०] वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का वस्तिकर्म जिससे पेट और आँतें बिलकुल साफ हो जाती हैं। |
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सुनिश्चय :
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पुं० [सं०] १. पक्का निश्चय। २. सुंदर निश्चय। |
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सुनिश्चित :
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भू० कृ० [सं०] अच्छी तरह या दृढ़ता से निश्चय किया हुआ। भली भाँति निश्चित किया हुआ। पुं० एक बुद्ध का नाम। |
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सुनिश्चित पुर :
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पुं० [सं०] काश्मीर का एक प्राचीन नाम। |
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सुनिहित :
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भू० कृ० [सं०] अच्छी तरह से छिपा या दबा हुआ। उदा–था समर्पण में ग्रहण का एक सुनिहित भाव।–पन्त। |
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सुनीच :
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पुं० [सं०] ज्योतिष में, किसी ग्रह का किसी राशि में किसी विशेष अंश का होनेवाला अवस्थान। |
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सुनीत :
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वि० [सं०] [भाव० सुनीति] १. नीतिपूर्ण व्यवहार करनेवाला। २. उदार। |
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सुनीति :
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स्त्री० [सं०] १. उत्तम नीति । २. भक्त ध्रुव की माता। पुं० शिव। |
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सुनीथ :
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पुं० [सं०] १. कृष्ण का एक पुत्र। २. सुषेण का एक पुत्र। ३. शिशुपाल का एक नाम। ४. एक प्रकार का छन्द या वृत्त। वि० १. नीतिमान्। २. न्यायशील। |
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सुनीथा :
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स्त्री० [सं०] मृत्यु की पुत्री और अंग की पत्नी। |
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समानार्थी शब्द-
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सुनील :
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वि० [सं०] १. गहरा नीला। २. गहरा काला। पुं० १. अनार का पेड़। २. लाल कमल। |
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समानार्थी शब्द-
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सुनीलक :
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पुं० [सं०] १. नीलम नामक रल। २. काला भँगरा। |
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समानार्थी शब्द-
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सुनीला :
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स्त्री० [सं०] १. चणिका तृणं। चनिका घास। २. नीली अपराजिता। ३. तीसी। |
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सुनु :
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पुं० [सं०] जल। |
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समानार्थी शब्द-
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सुनेत्र :
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वि० [सं०] [स्त्री० सुनेत्रा] सुंदर नेत्रोंवाला। सुलोचन। पुं० १. घृतराष्ठ्रका एक पुत्र। २. बौद्धों के अनुसार मार एक पुत्र। ३. चकवा पक्षी। |
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समानार्थी शब्द-
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सुनेत्रा :
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स्त्री० [सं०] सांख्य के अनुसार नौ तुष्टियों में से एक। |
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समानार्थी शब्द-
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सुनैया :
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वि०=सुनवैया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सुनोची :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का घोडा़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सुन्न :
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वि० [सं० शून्य] १. जिसमें कुछ न हो। शून्य। २. शरीर का अंग जिसमें रक्त का संचार बिलकुल शून्य होने के फल-स्वरूप स्पंदनहीनता हो। स्पंदनहीन। ३. शीत अथवा विशिष्ट उपचार के फलस्वरूप किसी अंग का संज्ञाहीन होना। जैसे–आपरेशन से पहले उनका हाथ सुन्न कर लिया गया था। ४. व्यक्ति के संबंध में, स्तब्ध और किंकर्तव्य-विमूढ़। जैसे–मित्र की मृत्यु का समाचार सुनते ही वह सुन्न हो गया। क्रि० प्र०–होना। |
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सुन्नत :
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स्त्री० [अ०] [वि० सुन्नती] लिंगेन्द्रिय के अगले भाग का चमडा़ काटन् की कुछ धर्मों की प्रथा जिसे मुसलमानों में मुसलमानी और सुन्नत कहते हैं। खतना। (सरकमसीजन) |
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समानार्थी शब्द-
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सुन्नती :
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वि० [हिं० सुन्नत] जिसकी सुन्नत हुई हो। पुं० मुसलमान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुन्नर :
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वि०=सुंदर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुन्नसान :
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वि०=सुनसान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुन्ना :
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पुं० [सं० शून्य] बिंदी। सिफर। जैसे-एक (१) पर सुन्ना (०) लगाने से दस (१॰) होता है। स०=सुनना। |
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समानार्थी शब्द-
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सुन्नी :
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पुं० [अ०] मुसलमानों का एक वर्ग या संप्रदाय जो चारों खलीफाओं को प्रधान मानता है। चार-पारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुन्नैया :
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वि०=सुनवैया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुनृता :
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स्त्री० [सं०] १. सत्य और प्रिय भाषण। २. सत्यता। सचाई। ३.धर्म की पत्नी का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
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