शब्द का अर्थ
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सुलभि-वल्कल :
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पुं० [सं० ब० स०] दालचीनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुलभ :
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वि० [सं०] [भाव० सुलभता, सुलभत्व] १. जो प्राप्त हो सकता हो। जिसे प्राप्त करने में विशेष कठिनाई या परिश्रम न हो। २. सरल। सहज। ३. साधारण। मामूली। ४. उपयोगी। पुं० अग्निहोत्र की अग्नि। |
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सुलभ-गणक :
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पुं० [सं०] ऐसी सारिणी या सारिणी-संग्रह जिसके द्वारा नित्य के व्यवहार की गणित-संबंधी प्रक्रियाओं के फल या परिकलन सहज में जाने जा सकें। (रेडी-रेकनर) जैसे–किसी निश्चित दर से १२ दिनों का वेतन, २३ दिनों का ब्याज आदि जानने की सारिणी। |
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सुलभता :
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स्त्री० [सं० सुलभ+तल्–टाप्] सुलभ होने की अवस्था, गुण या भाव। सुलभत्व। |
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सुलभत्व :
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पुं० [सं०] सुलभता। |
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सुलभ-मुद्रा :
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स्त्री० [सं०] अर्थशास्त्र में, किसी ऐसे देश की मुद्रा जो किसी राष्ट्र या राज्य को उस देश से माल मँगाने के लिए सहज में प्राप्त हो सके। (सॉफ्ट करेन्सी) विशेष–यदि हमारे देश में किसी दूसरे देश से आयात कम और निर्यात अधिक होता हो तो फलत |
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सुलभा :
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स्त्री० [सं०] १. वैदिक काल की एक ब्रह्मवादिनी विदुषी। २. तुलसी। ३. बेला। ४. जंगली उड़द। मषवन। |
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सुलभेतर :
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वि० [सं० ष० त०] १. जो सहज में प्राप्त न हो सके। ‘सुलभ’ से भिन्न। दुर्लभ। २. कठिन। मुश्किल। ३. महँगा। |
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सुलभ्य :
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वि० [सं० सु√लभ् (प्राप्त होना)+यत्] जो सहज में मिलता या मिल सकता हो। सुलभ। |
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