शब्द का अर्थ
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सूप :
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पुं० [सं०] १. खाने के लिए पकाई हुई दाल। २. उक्त प्रकार का दाल या पतला पानी या रस। ३. रसेदार तरकारी। ४. पात्र। बरतन। ५. सूपकार। पाचक। रसोइया। ६. तीर। वाण। पुं० [सं० शर्प] अनाज फटकने का बना हुआ पात्र। सरई या सीक का छाज। पद–सूप भर=ढेर—सा। बहुत। पुं० [देश०] कपड़ या सन का झाड़ू, जिससे जहाज के डक आदि साफ किये जाते हैं। (लश०) पुं० [अ० सूफ=ऊन] १. एक प्रकार का काला कपड़ा। २. दे० ‘सूफ’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सूपक :
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पुं० [सं० सूप] रसोइया। सूपकार। |
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सूपकार :
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पुं० [सं०] रसोइया। पाचक। |
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सूपकारी :
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पुं०=सूपकार। |
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सूपच :
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पुं० =श्वपच (चांडाल)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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सूप-झरना :
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पुं० [हिं० सूप+झरना] अनाज फटकने का एक प्रकार का सूप जिसका तल झरने की तरह छेददार होता है। इससे बारीक अनाज नीचे गिर जाता है, और मोटा ऊपर रह जाता है। |
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सूपड़ा :
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पुं० [हिं० सूप] सूप। छाज। (डिं०) |
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सूप-तीर्थ :
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पुं० [सं० ब० स०] ऐसा जलाशय जिसमें नहाने के लिए अच्छी सीढ़ियाँ बनी हों। |
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सूप-नखा :
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स्त्री० =शूर्पणखा। |
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सूप-पर्णी :
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स्त्री० [सं०] बनमूँग। मुँगवन। मुद्रपर्णी। |
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सूप-शास्त्र :
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पुं० [सं०] भोजन बनाने की कला। पाक—शास्त्र। |
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सूप-स्थान :
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पुं० [सं०] पाकशाला। रसोइघर। |
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सूपा :
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पुं० [हिं० सूप] सूप। छाज। |
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सूपिक :
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पुं० [सं०] १. पकी हुई दाल या तरकारी का रसा। २. रसोइया। सूपकार। |
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सूप्य :
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वि० [सं०] १. सूप—संबंधी। सूपका। २. जिस का सूप, अर्थात रस या शोरबा बनाया जा सकता हो। पुं० रसेदार तरकारी आदि। |
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सूप :
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पुं० [सं०] १. सोमरस निकालने की क्रिया। २. यज्ञ। जैसे–राजसूय। |
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