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अकरण  : वि० [सं० न० ब०] करण या इंद्रियों से रहित। पुं० ईश्वर या परमात्मा का एक नाम। वि० १. [कार्य] जो किये जाने के योग्य न हो। २. अनुचित। बुरा। ३. कठिन। दुष्कर। पुं० [सं० न० त०] १. कुछ भी न करने की क्रिया या भाव। २. जो काम किया जाना चाहिए वह न करना। कर्त्तव्य कर्म न करना। (ओमिशन) ३. किसी किये हुए काम को ऐसा रूप देना कि वह न किये हुए के समान हो जाए।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अकरणीय  : वि० [सं० न० त०] (काम) जो किये जाने के योग्य न हो। अनुचित। बुरा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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