| शब्द का अर्थ | 
					
				| अन्वित					 : | वि० [सं० अनु√इ (गति)+क्त] [भाव० अन्विति] १. जिसका अन्वय हुआ हो। २. मिला हुआ। युक्त। ३. किसी के साथ जुड़ा हुआ या पीछे लगा हुआ। ४. किसी तत्त्व या भाव से भरा या दबा हुआ अथवा अभिभूत। जैसे—विस्मयान्वित। | 
			
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				| अन्वितार्थ					 : | पुं० [अन्वित-अर्थ, कर्म० स०] १. अन्वय करने पर निकलने वाला अर्थ। २. अन्दर छिपा हुआ अर्थ। गूढ़ आशय। | 
			
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				| अन्विति					 : | स्त्री० [सं० अनु√इ+क्तिन्] १. अन्वित होने की अवस्था या भाव। २. किसी प्रकार की कृति, प्रभाव, फल आदि के रूप में दिखाई पड़ने वाली एकता, जिसके कारण वह खंडित या विकलांग न जान पड़े। ३. नाटक रचना शैली का एक सिद्धान्त, जिसके अनुसार नाटक का स्वरूप ऐसा समन्वित रखा जाता है कि वह कहीं से बेढ़ंगा, बोदा या भद्दा न जान पड़े। (यूनिटी) विशेष—अरस्तू ने नाटकों के लिए कथा-वस्तु, काल और देश की तीन अन्वितियाँ बतलाई हैं। इनका आशय यह है कि सारे नाटक की कथा-वस्तु ऐसी एक घटना जान पड़े जो एक ही काल और एक ही देश में घटित हुई हो। | 
			
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