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अभीर  : पुं० [सं० अभि√ईर्(प्रेरणा)+अच्] १. अहीर। ग्वाला। २. एक प्रकार का छंद जिसमें चार चरण और प्रत्येक चरण में ११ मात्राएं होती हैं और अंत में जगण(।ऽ।) होता है।
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अभीरी  : स्त्री० [सं० अमीर+ङीष्] अहीरों की बोली।
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अभीरु  : वि० [सं० न० त०] १. जो भीरु या डरपोक न हो। २. निर्भय। निर्भीक। पुं० १. शिव। २. भैरव। ३. युद्धभूमि।
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