| शब्द का अर्थ | 
					
				| अहल					 : | वि० [अ०अहल] योग्य। लायक। प्रत्यय-वाला। पुं० १. लोग। २. परिवार के या संग-साथ के लोग। ३. मालिक। स्वामी। | 
			
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				| अहलकार					 : | पुं० [अ+फा०] १. कर्मचारी, मुख्यतः कचहरी, कार्यालय आदि का। २. कारिंदा। | 
			
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				| अहलना					 : | अ० [सं० आहलनम्] १. बार-बार हिलना। काँपना। २. डर से काँपना। थर्राना। | 
			
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				| अहलमद					 : | पुं० [फा०] न्यायालय आदि का वह कर्मचारी जो सब प्रकार की मिसिलें क्रम से रखता है। | 
			
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				| अहला					 : | पुं० दे० अहिला। क्रि० वि० [?] व्यर्थ। बे-फायदे। (राज०) उदाहरण—बीछडियाँ कोई भौ भयो ए दिन अहला जाए।—मीराँ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| अहलाद					 : | पुं० =आह्लाद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| अहलादी					 : | वि० =आह्लादी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| अहले गहले					 : | क्रि० वि० [अनु०] १. हलके ह्रदय से। प्रसन्न होकर। २. मंदगति से और मस्त होकर (चलना या कोई काम करना)। | 
			
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				| अहल्या					 : | वि० [सं० हल+यत्-टाप्,न० त०] धरती जिसमें हल न चल सके या जो जोती न जा सके। स्त्री० गौतम ऋषि की पत्नी, जो शाप के कारण पत्थर की हो गयी थी और जिसका उद्धार भगवान् रामचंद्र ने किया था। | 
			
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