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आर्द्र  : वि० [सं० √अर्द्(गति)+रक्, दीर्घ] [भाव० आर्द्रता] १. गीला। तर। नम। २. पिघला हुआ। ३. किसी प्रकार के रस या तरल पदार्थ से युक्त। जैसे—आर्द्र काष्ठ, आर्द्र नेत्र आदि। ४. सना हुआ। लथ-पथ।
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आर्द्रक  : पुं० [सं० आर्द्र+कन्] अदरक। आदी।
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आर्द्रता  : स्त्री० [सं० आर्द्र+तल्-टाप्] आर्द्र होने की अवस्था या भाव। नमी।
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आर्द्रा  : स्त्री० [सं० आर्द्र+टाप्] १. एक नक्षत्र जो प्रायः आषाढ़ में पड़ता है और साधारणयतः जिसमें वर्षा आरंभ होती है। २. एक वर्णवृत्त जिसके पहले और चौथे चरण में जगण, तगण और दो गुरु और दूसरे तथा तीसरे चरणों में दो तगण, जगण और दो गुरू होते हैं। ३. अदरक। आदी। ४. अतीस।
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