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उगना  : अ० [सं० उद्गमन, प्रा० उग्गमन, गु० उगवूँ, मरा० उगणें० सि० उगणुँ०] १. वानस्पतिक क्षेत्र में, (क) जमीन के अंदर दबी हुई जड़ या पड़े हुए बीज में अंकुर, पत्ते शाखाएँ आदि निकलना। अंकुरति होना। जैसे—क्यारी में घास, खेत में गेहूँ याजमीन में पेड़ उगना। (ख) पेड़-पौधों के तनों, शाखाओं आदि में से निकलकर ऊपर आना या उठना। जैसे—पौधे में पत्ती या फेड़ में फूल उगना। २. प्राकृतिक कारणों से किसी तल के अंदर से निकलकर ऊपरी या बाहरी स्तर पर आना। जैसे—ठोढ़ी पर तिल उगना, गाल पर बाल या मसा उगना। ३. ग्रह, नक्षत्र आदि का क्षितिज से ऊपर आकर दिखाई देना। उदित होना। जैसे—चंद्रमा या सूर्य उगना। जैसे—रात में चाँदनी या दिन में धूप उगना। ५. किसी चीज का अपने आस-पास की चीजों में रहते हुए भी अपेक्षया अधिक आकर्षक, मोहक या सुंदर प्रतीत होना। सुशोभित होना। खिलना। उदाहरण—पँच-रँग रँग बेंदी उठै ऊगनि मुख—ज्योति। बिहारी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उगना  : अ० [सं० उद्गमन, प्रा० उग्गमन, गु० उगवूँ, मरा० उगणें० सि० उगणुँ०] १. वानस्पतिक क्षेत्र में, (क) जमीन के अंदर दबी हुई जड़ या पड़े हुए बीज में अंकुर, पत्ते शाखाएँ आदि निकलना। अंकुरति होना। जैसे—क्यारी में घास, खेत में गेहूँ याजमीन में पेड़ उगना। (ख) पेड़-पौधों के तनों, शाखाओं आदि में से निकलकर ऊपर आना या उठना। जैसे—पौधे में पत्ती या फेड़ में फूल उगना। २. प्राकृतिक कारणों से किसी तल के अंदर से निकलकर ऊपरी या बाहरी स्तर पर आना। जैसे—ठोढ़ी पर तिल उगना, गाल पर बाल या मसा उगना। ३. ग्रह, नक्षत्र आदि का क्षितिज से ऊपर आकर दिखाई देना। उदित होना। जैसे—चंद्रमा या सूर्य उगना। जैसे—रात में चाँदनी या दिन में धूप उगना। ५. किसी चीज का अपने आस-पास की चीजों में रहते हुए भी अपेक्षया अधिक आकर्षक, मोहक या सुंदर प्रतीत होना। सुशोभित होना। खिलना। उदाहरण—पँच-रँग रँग बेंदी उठै ऊगनि मुख—ज्योति। बिहारी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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