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उघरना  : अ० [सं० उद्घाटन] १. आवरण हट जाने पर, छिपी या दबी हुई वस्तु का प्रकट होना या सामने आना। प्रत्यक्ष, व्यक्त या स्पष्ट होना। उदाहरण—छीर-नीर बिबरन समय बक उघरत तेहि काल।—तुलसी। २. आवरण उतारकर नंगा होना। मुहावरा—उघरकर नाचना=लोक-लज्जा छोड़कर मनमाना, निंदनीय आचरण करना। ३. भेद या रहस्य खुलना। भंडा फूटना। उदाहरण—उघरहिं अंत न होहि निबाहू।—तुलसी। स० दे० ‘उघारना’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उघरना  : अ० [सं० उद्घाटन] १. आवरण हट जाने पर, छिपी या दबी हुई वस्तु का प्रकट होना या सामने आना। प्रत्यक्ष, व्यक्त या स्पष्ट होना। उदाहरण—छीर-नीर बिबरन समय बक उघरत तेहि काल।—तुलसी। २. आवरण उतारकर नंगा होना। मुहावरा—उघरकर नाचना=लोक-लज्जा छोड़कर मनमाना, निंदनीय आचरण करना। ३. भेद या रहस्य खुलना। भंडा फूटना। उदाहरण—उघरहिं अंत न होहि निबाहू।—तुलसी। स० दे० ‘उघारना’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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