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उतरन  : स्त्री० [हिं० उतरना] वह (कपड़ा या गहना) जो किसी ने कुछ दिनों तक पहनने के बाद पुराना समझकर उतार या छोड़ दिया हो। पुं० दे०‘उतरंग’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उतरना  : अ० [सं० अवतरण, प्रा० उत्तरण] १. ऊपर से नीचे की ओर आना या जाना। जैसे—(क) गले के नीचे भोजन उतरना। (ख) स्तन में या स्तन से दूध उतरना। (ग) अंड-कोश में पानी उतरना। मुहावरा—(कोई बात किसी के) गले के नीचे उतरना=ध्यान, मन या समझ में आना। जैसे—उसे लाख समझाओं पर कोई बात उसके गले के नीचे उतरती ही नहीं। २. किसी वस्तु या व्यक्ति का ऊपर के या ऊँचे स्थान से क्रमशः प्रयत्न पूर्वक नीचे की ओर आना। निम्नगामी होना। अवतरण करना। जैसे—आकाश से पक्षी या वायुयान उतरना, घर की छत पर से नीचे उतरना। ३. यान, वाहन या सवारी पर से आरोही का नीचे आना। जैसे—घोड़े, नाव, पालकी या रेल पर से लोगों का उतरना। ४. किसी उच्च स्तर या स्थिति से अपने नीचे वाले प्राधिक,सामान्य या स्वाभाविक स्तर, स्थिति आदि की ओर आना। कम या न्यून होना। घटना। जैसे—ज्वर या ताप उतरना,नदी या बाढ़ का पानी उतरना, गाँजे या भाँग का नशा उतरना। ५. किसी पद या स्थान से खिच, खिसक या गिरकर अथवा किसी प्रकार अलग होकर नीचे आना। जैसे—(क) तलवार से कटकर करदन या कैंची से कटकर सिर के बाल उतरना। (ख) बकरे (या भैसे) की खाल उतरना। (ग) खींचा-तानी या लड़ाई-झगड़े में कंधे या कलाई की हड्डी उतरना। (घ) अपने दुराचार या दुर्व्यवहार के कारण किसी के चित्त से उतरना। ६. किसी अंकित नियत या स्थिर स्तर से नीचे आना। जैसे—(क) विद्यालय में लड़के का दरजा उतरना। (ख) ताप-मापक यंत्र का पारा उतरना। (ग) बाजार में चीजों का भाव उतरना। (घ) गाने में गवैये का स्वर उतरना। मुहावरा—(किसी से) उतरकर होना=योग्यता, श्रेष्ठता आदि के विचार से घटिया या हलका होना। ७. आकाश या स्वर्ग से अवतार, देवदूत आदि के रूप में इस लोक में आना। जैसे—समय-समय पर अनेक अलौकिक महापुरुष इस लोक में उतरते रहते हैं। ८. कहीं से आकर किसी स्थान पर टिकना, ठहरना या रूकना। डेरा डालना। जैसे—(क) धर्मशाला या बगीचें में बारात उतरना। (ख) किसी के घर मेहमान बनकर उतरना। ९. तत्परता या दृढ़तापूर्वक कोई काम करने के लिए उपयुक्त क्षेत्र में आना। जैसे—(क) पिछले महायुद्ध में प्रायः सभी बड़े राष्ट्र युद्ध क्षेत्र में उतर आये थे। (ख) अब वे कहानियाँ लिखना छोड़कर आलोचना (या कविता) के क्षेत्र में उतरे हैं। १. किसी पदार्थ के उपयोगी, वांछित या सार भाग का किसी क्रिया से खींचकर बाहर आना। जैसे—भभके से किसी चीज का अरक उतरना, उबालने से पानी में किसी चीज का तेल, रंग या स्वाद उतरना। ११. शरीर पर धारण की हुई या पहनी हुई वस्तु का वहाँ से हटाये जाने पर अलग होना। जैसे—कपड़ा, जूता या मोजा उतरना। १२. अपनी पूर्व स्थिति से नष्ट-भ्रष्ट पतित या विलुप्त होना। जैसे—कोई बात चित्त से उतरना (याद न रहना) सबके सामने आबरू या इज्जत उतरना। मुहावरा—(किसी व्यक्ति का) किसी के चित्त से उतरना=अपने दुराचार, दुर्व्यवहार आदि के कारण किसी की दृष्टि में उपेश्र्य और हीन सिद्ध होना। किसी की दृष्टि मे आदरणीय न रह जाना। जैसे—जब से वे जूआ खेलने (या झूठ बोलने) लगे, तबसे वे हमारे चित्त से उतर गये। १३. अंत या समाप्ति की ओर आना या होना। जैसे—(क) उन दिनों उनकी अवस्था उतर रही थी। (ख) अब हस्त नक्षत्र (या सावन का महीना) उतर रहा है। मुहावरा—उतर आना=(क) किसी बड़े काल विभाग या पक्ष का पूरा या समाप्त हो जाना। जैसे—अब यह पक्ष (या वर्ष) भी उतर जायगा। (ख) संतान के पक्ष में, मर जाना। मृत्यु हो जाना। (स्त्रियाँ) जैसे—इसके बच्चे हो-होकर उतर जाते है। १४. घटाव या ह्रास की ओर आना या होना। जैसे—(क) धीरे-धीरे उसका ऋण उतर रहा है। (ख) अब इस कपड़े (या तस्वीर) का रंग उतरने लगा है। १५. किसी प्रकार के आवेश का मंद पड़कर शांत या समाप्त होना। जैसे—क्रोध या गुस्सा उतरना, झक या सनक उतरना। १६. फलों, फूलों आदि का अच्छी तरह से पक या फूल चुकने के बाद सड़न की ओर प्रवृत्त होना। जैसे—कल तक यह आम (या खरबूजा) उतर जायगा। १७. किसी प्रकार कुम्हला या मुरझा जाना अथवा श्रीहीन होना। प्रभा से रहित होना। जैसे—फटकारे जाने या भेद खुलने पर किसी का चेहरा या मुँह उतरना। १८. बाजों के संबंध में, जितना कसा, चढ़ा या तना रहना चाहिए, उससे कसाव या तनाव कम होना। (और फलतः उनसे अपेक्षित या वांछित स्वर ना निकलना) जैसे—तबला या सारंगी जब उतर जाय, तब उसे तुरंत (कस या तानकर) मिला लेना चाहिए। (उसमें उपयुक्त तनाव या कसाव ले आना चाहिए)। १९. क्रमशः तैयार होने या बननेवाली चीजों का तैयार या बनकर काम में आने या बाजार में जाने के योग्य होना। जैसे—(क) पेड़-पौधों से फल-फूल उतरना। करघे पर से थान या धोतियाँ उतरना, भट्ठी पर से चाशनी या पाग उतरना। २॰ अनुकृति, प्रतिकृति, प्रतिच्छाया, प्रतिलिपि, लेख आदि के रूप में अंकित या प्रस्तुत होना। नकल बनना या होना। जैसे—(क) किसी आदमी की तस्वीर या किसी जगह का नक्शा उतरना। (ख) खाते या बही में लेखा या हिसाब उतरना। २१. अनुकूल, उपयुक्त, ठीक या पूरा होना। जैसे—(क) यह कड़ा तौल में पूरा पाँच तोले उतरा है। (ख) यह काम उमसे पूरा न उतरेगा। २२. प्राप्य धन प्राप्त होना। उगाहा जाना या वसूल होना। जैसे—आजकल चंदा (या लहना) उतरना बहुत कठिन हो गया है। २३. शतरंज के खेल में प्यादे या सिपाही का आगे बढ़ते-बढ़ते विपक्षी के किसी ऐसे घर में पहुँचना जहाँ उस घर के मरे हुए मोहरे की जगह फिर से नया मोहरा बन जाता है। जैसे—हमारा यह व्यादा अब उतरकर वजीर (या हाथी) बनेगा। अ० [सं० उत्तरण] नाव आदि की सहायता से किसी जलाशय (तालाब, नदी, नाले आदि) के उस पार पहुँचना। जैसे—धीरज धरहिं सो उतरहिं पारा।—तुलसी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उतरन  : स्त्री० [हिं० उतरना] वह (कपड़ा या गहना) जो किसी ने कुछ दिनों तक पहनने के बाद पुराना समझकर उतार या छोड़ दिया हो। पुं० दे०‘उतरंग’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उतरना  : अ० [सं० अवतरण, प्रा० उत्तरण] १. ऊपर से नीचे की ओर आना या जाना। जैसे—(क) गले के नीचे भोजन उतरना। (ख) स्तन में या स्तन से दूध उतरना। (ग) अंड-कोश में पानी उतरना। मुहावरा—(कोई बात किसी के) गले के नीचे उतरना=ध्यान, मन या समझ में आना। जैसे—उसे लाख समझाओं पर कोई बात उसके गले के नीचे उतरती ही नहीं। २. किसी वस्तु या व्यक्ति का ऊपर के या ऊँचे स्थान से क्रमशः प्रयत्न पूर्वक नीचे की ओर आना। निम्नगामी होना। अवतरण करना। जैसे—आकाश से पक्षी या वायुयान उतरना, घर की छत पर से नीचे उतरना। ३. यान, वाहन या सवारी पर से आरोही का नीचे आना। जैसे—घोड़े, नाव, पालकी या रेल पर से लोगों का उतरना। ४. किसी उच्च स्तर या स्थिति से अपने नीचे वाले प्राधिक,सामान्य या स्वाभाविक स्तर, स्थिति आदि की ओर आना। कम या न्यून होना। घटना। जैसे—ज्वर या ताप उतरना,नदी या बाढ़ का पानी उतरना, गाँजे या भाँग का नशा उतरना। ५. किसी पद या स्थान से खिच, खिसक या गिरकर अथवा किसी प्रकार अलग होकर नीचे आना। जैसे—(क) तलवार से कटकर करदन या कैंची से कटकर सिर के बाल उतरना। (ख) बकरे (या भैसे) की खाल उतरना। (ग) खींचा-तानी या लड़ाई-झगड़े में कंधे या कलाई की हड्डी उतरना। (घ) अपने दुराचार या दुर्व्यवहार के कारण किसी के चित्त से उतरना। ६. किसी अंकित नियत या स्थिर स्तर से नीचे आना। जैसे—(क) विद्यालय में लड़के का दरजा उतरना। (ख) ताप-मापक यंत्र का पारा उतरना। (ग) बाजार में चीजों का भाव उतरना। (घ) गाने में गवैये का स्वर उतरना। मुहावरा—(किसी से) उतरकर होना=योग्यता, श्रेष्ठता आदि के विचार से घटिया या हलका होना। ७. आकाश या स्वर्ग से अवतार, देवदूत आदि के रूप में इस लोक में आना। जैसे—समय-समय पर अनेक अलौकिक महापुरुष इस लोक में उतरते रहते हैं। ८. कहीं से आकर किसी स्थान पर टिकना, ठहरना या रूकना। डेरा डालना। जैसे—(क) धर्मशाला या बगीचें में बारात उतरना। (ख) किसी के घर मेहमान बनकर उतरना। ९. तत्परता या दृढ़तापूर्वक कोई काम करने के लिए उपयुक्त क्षेत्र में आना। जैसे—(क) पिछले महायुद्ध में प्रायः सभी बड़े राष्ट्र युद्ध क्षेत्र में उतर आये थे। (ख) अब वे कहानियाँ लिखना छोड़कर आलोचना (या कविता) के क्षेत्र में उतरे हैं। १. किसी पदार्थ के उपयोगी, वांछित या सार भाग का किसी क्रिया से खींचकर बाहर आना। जैसे—भभके से किसी चीज का अरक उतरना, उबालने से पानी में किसी चीज का तेल, रंग या स्वाद उतरना। ११. शरीर पर धारण की हुई या पहनी हुई वस्तु का वहाँ से हटाये जाने पर अलग होना। जैसे—कपड़ा, जूता या मोजा उतरना। १२. अपनी पूर्व स्थिति से नष्ट-भ्रष्ट पतित या विलुप्त होना। जैसे—कोई बात चित्त से उतरना (याद न रहना) सबके सामने आबरू या इज्जत उतरना। मुहावरा—(किसी व्यक्ति का) किसी के चित्त से उतरना=अपने दुराचार, दुर्व्यवहार आदि के कारण किसी की दृष्टि में उपेश्र्य और हीन सिद्ध होना। किसी की दृष्टि मे आदरणीय न रह जाना। जैसे—जब से वे जूआ खेलने (या झूठ बोलने) लगे, तबसे वे हमारे चित्त से उतर गये। १३. अंत या समाप्ति की ओर आना या होना। जैसे—(क) उन दिनों उनकी अवस्था उतर रही थी। (ख) अब हस्त नक्षत्र (या सावन का महीना) उतर रहा है। मुहावरा—उतर आना=(क) किसी बड़े काल विभाग या पक्ष का पूरा या समाप्त हो जाना। जैसे—अब यह पक्ष (या वर्ष) भी उतर जायगा। (ख) संतान के पक्ष में, मर जाना। मृत्यु हो जाना। (स्त्रियाँ) जैसे—इसके बच्चे हो-होकर उतर जाते है। १४. घटाव या ह्रास की ओर आना या होना। जैसे—(क) धीरे-धीरे उसका ऋण उतर रहा है। (ख) अब इस कपड़े (या तस्वीर) का रंग उतरने लगा है। १५. किसी प्रकार के आवेश का मंद पड़कर शांत या समाप्त होना। जैसे—क्रोध या गुस्सा उतरना, झक या सनक उतरना। १६. फलों, फूलों आदि का अच्छी तरह से पक या फूल चुकने के बाद सड़न की ओर प्रवृत्त होना। जैसे—कल तक यह आम (या खरबूजा) उतर जायगा। १७. किसी प्रकार कुम्हला या मुरझा जाना अथवा श्रीहीन होना। प्रभा से रहित होना। जैसे—फटकारे जाने या भेद खुलने पर किसी का चेहरा या मुँह उतरना। १८. बाजों के संबंध में, जितना कसा, चढ़ा या तना रहना चाहिए, उससे कसाव या तनाव कम होना। (और फलतः उनसे अपेक्षित या वांछित स्वर ना निकलना) जैसे—तबला या सारंगी जब उतर जाय, तब उसे तुरंत (कस या तानकर) मिला लेना चाहिए। (उसमें उपयुक्त तनाव या कसाव ले आना चाहिए)। १९. क्रमशः तैयार होने या बननेवाली चीजों का तैयार या बनकर काम में आने या बाजार में जाने के योग्य होना। जैसे—(क) पेड़-पौधों से फल-फूल उतरना। करघे पर से थान या धोतियाँ उतरना, भट्ठी पर से चाशनी या पाग उतरना। २॰ अनुकृति, प्रतिकृति, प्रतिच्छाया, प्रतिलिपि, लेख आदि के रूप में अंकित या प्रस्तुत होना। नकल बनना या होना। जैसे—(क) किसी आदमी की तस्वीर या किसी जगह का नक्शा उतरना। (ख) खाते या बही में लेखा या हिसाब उतरना। २१. अनुकूल, उपयुक्त, ठीक या पूरा होना। जैसे—(क) यह कड़ा तौल में पूरा पाँच तोले उतरा है। (ख) यह काम उमसे पूरा न उतरेगा। २२. प्राप्य धन प्राप्त होना। उगाहा जाना या वसूल होना। जैसे—आजकल चंदा (या लहना) उतरना बहुत कठिन हो गया है। २३. शतरंज के खेल में प्यादे या सिपाही का आगे बढ़ते-बढ़ते विपक्षी के किसी ऐसे घर में पहुँचना जहाँ उस घर के मरे हुए मोहरे की जगह फिर से नया मोहरा बन जाता है। जैसे—हमारा यह व्यादा अब उतरकर वजीर (या हाथी) बनेगा। अ० [सं० उत्तरण] नाव आदि की सहायता से किसी जलाशय (तालाब, नदी, नाले आदि) के उस पार पहुँचना। जैसे—धीरज धरहिं सो उतरहिं पारा।—तुलसी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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