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उदाहरण  : पुं० [सं० उद्-आ√हृ(हरण करना)+ल्युट्-अन] १. नियम, सिद्धांत आदि को अच्छी तरह बोधगम्य तथा स्पष्ट करने के लिए उपस्थित किए हुए तथ्य। ऐसी बात या तथ्य जिससे किसी कथन, सिद्धांत आदि की सत्यता प्रकट तथा सिद्ध होती हो। (एग्जाम्पुल) २. ऐसा आचरण, कृति या क्रिया जो दूसरों को अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित करे। ३. न्याय में, वाक्य के पाँच अवयवों में से एक जिसके द्वारा साध्य या वैधर्म्य सिद्ध होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदाहरण  : पुं० [सं० उद्-आ√हृ(हरण करना)+ल्युट्-अन] १. नियम, सिद्धांत आदि को अच्छी तरह बोधगम्य तथा स्पष्ट करने के लिए उपस्थित किए हुए तथ्य। ऐसी बात या तथ्य जिससे किसी कथन, सिद्धांत आदि की सत्यता प्रकट तथा सिद्ध होती हो। (एग्जाम्पुल) २. ऐसा आचरण, कृति या क्रिया जो दूसरों को अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित करे। ३. न्याय में, वाक्य के पाँच अवयवों में से एक जिसके द्वारा साध्य या वैधर्म्य सिद्ध होता है।
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