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शब्द का अर्थ

उन्नत  : वि० [सं० उद्√नम्(झुकना)+क्त] १. जो ऊपर की ओर झुका या नत हुआ हो। २. ऊपर की ओर ऊँठा हुआ। ऊँचा। ३. पद, मर्यादा, स्थिति के विचार से जो पहले से अथवा अपने वर्ग के अन्य सदस्यों से बहुत आगे बढ़ा हुआ हो। श्रेष्ठ। ४. दीर्घ, महान या विशाल। पुं० अजगर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उन्नतांश  : पुं० [सं० उन्नत-अंश, कर्म० स०] १. किसी आधार, स्तर या रेखा से अथवा किसी की तुलना में ऊपर की ओर का विस्तार। ऊँचाई। (आल्टिट्यूड) २. फलित ज्योतिष में दूज के चंद्रमा का वह कोना या श्रृंग जो दूसरे कोने या श्रृंग से कुछ ऊपर उठा हुआ हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उन्नति  : स्त्री० [सं० उद्√नम्+क्तिन्] १. उन्नत होने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. उच्चता। ३. किसी कार्य या क्षेत्र में अच्छी तरह और बराबर आगे बढ़ते रहने या विकसित होते रहने की अवस्था, क्रिया या भाव। (प्रोग्रेस) जैसे—यह लड़का पढ़ाई में अच्छी उन्नति कर रहा है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उन्नति-शील  : वि० [ब० स०] (व्यक्ति या व्यापार) जिसमें उन्नति करते रहने की योग्यता हो अथवा जो बराबर उन्नति कर रहा हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उन्नतोदर  : पुं० [सं० उन्नत-उदर, कर्म० स०] वृत्त-खंड आदि का ऊपर उठा हुआ कोई अंश या तल। वि० दे० ‘उत्तल’।
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उन्नत  : वि० [सं० उद्√नम्(झुकना)+क्त] १. जो ऊपर की ओर झुका या नत हुआ हो। २. ऊपर की ओर ऊँठा हुआ। ऊँचा। ३. पद, मर्यादा, स्थिति के विचार से जो पहले से अथवा अपने वर्ग के अन्य सदस्यों से बहुत आगे बढ़ा हुआ हो। श्रेष्ठ। ४. दीर्घ, महान या विशाल। पुं० अजगर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उन्नतांश  : पुं० [सं० उन्नत-अंश, कर्म० स०] १. किसी आधार, स्तर या रेखा से अथवा किसी की तुलना में ऊपर की ओर का विस्तार। ऊँचाई। (आल्टिट्यूड) २. फलित ज्योतिष में दूज के चंद्रमा का वह कोना या श्रृंग जो दूसरे कोने या श्रृंग से कुछ ऊपर उठा हुआ हो।
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उन्नति  : स्त्री० [सं० उद्√नम्+क्तिन्] १. उन्नत होने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. उच्चता। ३. किसी कार्य या क्षेत्र में अच्छी तरह और बराबर आगे बढ़ते रहने या विकसित होते रहने की अवस्था, क्रिया या भाव। (प्रोग्रेस) जैसे—यह लड़का पढ़ाई में अच्छी उन्नति कर रहा है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उन्नति-शील  : वि० [ब० स०] (व्यक्ति या व्यापार) जिसमें उन्नति करते रहने की योग्यता हो अथवा जो बराबर उन्नति कर रहा हो।
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उन्नतोदर  : पुं० [सं० उन्नत-उदर, कर्म० स०] वृत्त-खंड आदि का ऊपर उठा हुआ कोई अंश या तल। वि० दे० ‘उत्तल’।
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