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शब्द का अर्थ

उपक्रम  : पुं० [सं० उप√क्रम्(गति)+घञ्] १. चलकर किसी के पास पहुँचना। २. कोई कार्य आरंभ करने से पहले किया जाने वाला आयोजन। (प्रिपरेशन)। ३. भूमिका।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपक्रमण  : पुं० [सं० उप√क्रम्+ल्युट-अन] १. चलकर पास आना। आगमन। २. किसी कार्य का अनुष्ठान। आरम्भ। ३. आयोजन। तैयारी। ४. ग्रन्थ आदि की भूमिका। ५. इलाज। चिकित्सा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपक्रमणिका  : स्त्री० [सं० उपक्रमण+ङीष्+कन्-टाप्, हस्व] १. अनुक्रमणिका। २. वह वैदिक ग्रंथ जिसमें वेदों के मन्त्रों और सूक्तों के ऋषियों छंदों आदि का उल्लेख है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपक्रमिता (तृ)  : वि० [सं० उप√क्रम+तृच्] उपक्रमण करनेवाला।
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उपक्रम  : पुं० [सं० उप√क्रम्(गति)+घञ्] १. चलकर किसी के पास पहुँचना। २. कोई कार्य आरंभ करने से पहले किया जाने वाला आयोजन। (प्रिपरेशन)। ३. भूमिका।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपक्रमण  : पुं० [सं० उप√क्रम्+ल्युट-अन] १. चलकर पास आना। आगमन। २. किसी कार्य का अनुष्ठान। आरम्भ। ३. आयोजन। तैयारी। ४. ग्रन्थ आदि की भूमिका। ५. इलाज। चिकित्सा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपक्रमणिका  : स्त्री० [सं० उपक्रमण+ङीष्+कन्-टाप्, हस्व] १. अनुक्रमणिका। २. वह वैदिक ग्रंथ जिसमें वेदों के मन्त्रों और सूक्तों के ऋषियों छंदों आदि का उल्लेख है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपक्रमिता (तृ)  : वि० [सं० उप√क्रम+तृच्] उपक्रमण करनेवाला।
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