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शब्द का अर्थ

उपनय  : पुं० [सं० उप√नी (ले जाना)+अच्] १. किसी की ओर या किसी के पास ले जाना। २. अपनी ओर लाना या अपने पास बुलाना। ३. बालक को गुरू के पास ले जाना। ४. उपनयन संस्कार। जनेऊ। यज्ञोपवीत। ५. न्याय में, वाक्य के चौथे अवयव का नाम। इसमें उदाहरण देकर उस उदाहरण के धर्म को फिर उपसंहार रूप से साध्य में घटाया जाता है। ६. अपने पक्ष का समर्थन करने या इसी प्रकार और किसी काम के लिए किसी उक्ति, सिद्धांत, विधि आदि का उल्लेख या कथन करना। उद्वरण। (साइटेशन)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपनयन  : पुं० [सं० उप√नी+ल्यु-अन] [वि० उपनीत] वह संस्कार जिसमें बच्चों को यज्ञोपवीत पहनाकर ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रविष्ट कराया जाता है।
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उपनय  : पुं० [सं० उप√नी (ले जाना)+अच्] १. किसी की ओर या किसी के पास ले जाना। २. अपनी ओर लाना या अपने पास बुलाना। ३. बालक को गुरू के पास ले जाना। ४. उपनयन संस्कार। जनेऊ। यज्ञोपवीत। ५. न्याय में, वाक्य के चौथे अवयव का नाम। इसमें उदाहरण देकर उस उदाहरण के धर्म को फिर उपसंहार रूप से साध्य में घटाया जाता है। ६. अपने पक्ष का समर्थन करने या इसी प्रकार और किसी काम के लिए किसी उक्ति, सिद्धांत, विधि आदि का उल्लेख या कथन करना। उद्वरण। (साइटेशन)
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उपनयन  : पुं० [सं० उप√नी+ल्यु-अन] [वि० उपनीत] वह संस्कार जिसमें बच्चों को यज्ञोपवीत पहनाकर ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रविष्ट कराया जाता है।
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