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उपनिषद्  : स्त्री० [सं० उप-नि√सद् (गति आदि)+क्विप् अथवा√सद्+णिच्+क्विप्] १. किसी के पास बैठना। २. ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए गुरु के पास जाकर बैठना। ३. वेदों के उपरांत लिखे गये वे ग्रंथ जिनमें भारतीय आर्यों के गूढ़ आध्यात्मिक तथा दार्शनिक विचार भरे हैं। ४. वेदव्रत ब्रह्मचारी के 40 संस्कारों में से एक जो केशान्त संस्कार के पूर्व होता था। ५. धर्म। ६. निर्जन स्थान।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपनिषद्  : स्त्री० [सं० उप-नि√सद् (गति आदि)+क्विप् अथवा√सद्+णिच्+क्विप्] १. किसी के पास बैठना। २. ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए गुरु के पास जाकर बैठना। ३. वेदों के उपरांत लिखे गये वे ग्रंथ जिनमें भारतीय आर्यों के गूढ़ आध्यात्मिक तथा दार्शनिक विचार भरे हैं। ४. वेदव्रत ब्रह्मचारी के 40 संस्कारों में से एक जो केशान्त संस्कार के पूर्व होता था। ५. धर्म। ६. निर्जन स्थान।
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