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उल्लंघन  : पुं० [सं० उद्√लंघ् (लाँघना)+ल्युट-अन] १. किसी के ऊपर से होते हुए उधर या उस पार जाना। २. आज्ञा, नियम, प्रथा रीति आदि का पालन न करते हुए उसका अतिक्रमण करना। न मानना। जैसे—आज्ञा का उल्लंघन। ३. अपने अधिकार या क्षेत्र से बाहर जाना अथवा दूसरे क्षेत्र में अनुचित रूप से पहुँचना। जैसे—सीमा का उल्लंघन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उल्लंघना  : स०=उलँघना या उलाँघना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उल्लंघनीय  : वि० [सं० उद्√लंघ्+अनीयर] जो उल्लंघन किये जाने के योग्य हो अथवा जिसका उल्लंघन करना उचित हो।
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उल्लंघन  : पुं० [सं० उद्√लंघ् (लाँघना)+ल्युट-अन] १. किसी के ऊपर से होते हुए उधर या उस पार जाना। २. आज्ञा, नियम, प्रथा रीति आदि का पालन न करते हुए उसका अतिक्रमण करना। न मानना। जैसे—आज्ञा का उल्लंघन। ३. अपने अधिकार या क्षेत्र से बाहर जाना अथवा दूसरे क्षेत्र में अनुचित रूप से पहुँचना। जैसे—सीमा का उल्लंघन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उल्लंघना  : स०=उलँघना या उलाँघना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उल्लंघनीय  : वि० [सं० उद्√लंघ्+अनीयर] जो उल्लंघन किये जाने के योग्य हो अथवा जिसका उल्लंघन करना उचित हो।
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