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कठिन  : वि० [सं० कठ्+इनच्] [भाव० कठिनता] १. (कार्य) जो सरलता या सुगमता से न किया जा सके। जिसे पूरा करने में अधिक परिश्रम शक्ति तथा समय अपेक्षित हो। मुश्किल। २. (बात, वाक्य शब्द आदि) जो बोधगम्य हो। जो सहज में समझ में न आता हो। (डिफिकल्ट) ३. कठोर। कड़ा। सख्त। ४. कठोर-हृदय। उदाहरण—मातु चिराव कठिन की नाई।—तुलसी। स्त्री०=कठिनता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कठिनई  : स्त्री० [हिं० कठिन] १. कठिनता। २. विकट परिस्थिति। मुहावरा—कठिनाई ठानना=कठिन या विकट परिस्थिति उत्पन्न करना। झंझट या बखेड़ा खड़ा करना। उदाहरण—नैननि निपट कठिनई ठानी।—सूर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कठिनता  : स्त्री० [सं० कठिन+तल्-इन] १. कठिन होने की अवस्था, गुण या भाव। २. काम में होनेवाली अड़चन या बाधा। ३. ऐसी दशा या परिस्थिति, जिसमें प्रसंग सामने आतें हों और जिससे पार पाने के लिए विशेष कौशल, धैर्य, परिश्रम अपेक्षित हों। (डिफिकल्टी)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कठिनत्व  : पुं० [सं० कठिन+त्व]=कठिनता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कठिनाई  : स्त्री०=कठिनता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कठिनी  : स्त्री० [सं० कठिन+ङीष्] १. खड़िया मिट्टी। २. हाथ की सबसे छोटी उँगली।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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