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कदम  : पुं० [अ० कदम] १. पाँव। पैर। मुहा०—कदम उठाना=(क) चलने के लिए पैर उठाकर आगे बढ़ाना। (ख) लाक्षणिक रूप में, कोई कार्य करने के लिए उसका कोई आरंभिक अंश पूरा करना या उसका प्रयत्न करना (किसी के) कदम चूमना=किसी को बहुत प्रतिष्ठित या मान्य समझकर उसके प्रति आदर या श्रद्धा प्रकट करना। कदम छूना=आदर या श्रद्धापूर्वक किसी के आगे नतमस्तक होना। प्रणाम करना। कदम बढ़ाना=चलने के समय चाल तेज करना। (किसी जगह) कदम रखना=(क) किसी स्थान पर पहुँचना या उसमें प्रवेश करना। (ख) पदार्पण करना। (आदरार्थक) २. उतनी दूरी जितनी चलने के समय एक बार पैर उठाकर आगे रखने में पार की जाती है। चलने में दो पैरों के बीच का अवकाश या स्थान। डग। (स्टेप) ३. चलने नाचने आदि में हर बार पैर उठाने की किया या भाव। ४. घोड़े की एक विशिष्ट प्रकार की चाल, जिसमें ठीक या भाव। ४. घोड़े की एक विशिष्ट प्रकार की चाल, जिसमें ठीक कम से हर बार पैर उठता है। (दौड़ने से भिन्न) पुं० [सं० कदंब] १. कदंब नामक वृक्ष। २. इस वृक्ष का छोटा गोल फल। (दे० कदंब)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कदमचा  : पुं० [फा० कदमचा] पाखाने आदि में दोनों ओर बने हुए वे स्थान, जिन पर पैर रखकर बैठते है।
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कदमबाज  : वि० [अ+फा०] (वह घोड़ा) जो कदम मिलाकर अर्थात् ठीक चाल चलता हो। (दौड़ता न हो)।
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कदमा  : स्त्री० [हि० कदम] कदंब के फूल के आकार की एक प्रकार की मिठाई।
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