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कसाई  : पुं० [अ० कस्साब] [स्त्री० कसाइन] १. वह जो पशुओं आदि की हत्या करके उनका माँस बेचने का व्यवसाय करता हो। बूचड़। (बुचर)। मुहावरा—कसाई के खूँटे बँधना=ऐसी जगह पहुँचना जहाँ पर निर्दयता या निष्ठुरता का व्यवहार होना अवश्यंभावी हो। बहुत ही कठोर हृदय व्यक्ति से पाला पड़ना। जैसे—यदि तुमने उनके यहाँ लड़की का ब्याह किया तो लड़ाई कसाई के खूँटे से बँध जायगी। पद—कसाई का पिल्ला-बहुत मोटा-ताजा या ह्रष्ट-पुष्ट। (उपेक्षा और व्यंग्य)। २. परम निष्ठुर और निर्दय व्यक्ति। स्त्री० [हिं० कसना] १. कसने की क्रिया या भाव। २. कसने का पारिश्रमिक।
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कसाईखाना  : पुं० [हिं० कसाई+फा० खानः] वह स्थान जहाँ मांस-विक्रय के उद्देश्य से पशुओं का वध होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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