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खप्पर  : पुं० [सं० खर्पर, प्रा. पं. खप्पर, गु. खापरी, मरा, खापर, उ. खपरा, बँ. खाबरा] १. वह पात्र जो काली की मूर्ति के हाथ में रहता है और जिसके सम्बन्ध में यह कल्पना है कि वह इसी में भरकर शत्रुओं का रक्त पीती थीं। २. दरियाई नारियल का वह आधा भाग या उसके आकार का कोई पात्र जिसमें कुछ विशिष्ट प्रकार के साधु भिक्षा लेते हैं। ३. खोपड़ी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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