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खेचर  : वि० [सं०खे√चर् (गति)+ट, अलुक-समास] आकाश में चलने या उड़नेवाला। आकाशचारी। पुं० १. सूर्य, चंद्रमा आदि ग्रह और नक्षत्र जो आकाश में चलते रहते हैं। २. देवता। ३. वायु। हवा। ४. आकाशयान। विमान। ५. चिड़िया। पक्षी। ६. बादल। मेघ। ७. भूत-प्रेत, राक्षस, विद्याधर, वेताल आदि देव-योनियाँ। ८. शिव। ९. पारा। १॰.कसीस।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
खेचरान्न  : पुं० [सं० खेचर-अन्न,कर्म० स०] खिचड़ी।
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खेचरी  : स्त्री० [सं० खेचर+ङीप्] १. आकाश में उड़ने की शक्ति जो एक सिद्धि मानी जाती है। २. हठयोग की एक मुद्रा जिसमें जबान उलटकर तालू से और दृष्टि दोनों भौहों के बीच ललाट पर लगाई जाती है। इसे प्रतीकात्मक पद्धति में गोमांस भक्षण’ भी कहते हैं। ३. तंत्र में उँगलियों की एक मुद्रा।
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खेचरी गुटिका  : स्त्री० [सं० व्यस्तपद] तंत्र के अनुसार एक प्रकार की गोली जिसके संबंध में यह कहा जाता है कि इसे मुँह में रखने पर आदमी आकाश में उड़ सकता है।
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खेचरी मुद्रा  : स्त्री० [सं० व्यस्तपद] १. योग साधन की एक मुद्रा जिसके साधन से मनुष्य को कोई रोग नहीं होता। २. एक प्रकार की मुद्रा जिसमें दोनों हाथों को एक-दूसरे पर लपेट लेते हैं। (तंत्र)
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