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गंधर्व-नगर  : पुं० [ष० त०] १. मगर, ग्राम आदि का वह मिथ्या आभास जो कुछ विशिष्ट प्रकार की प्राकृतिक अवस्थाओं में सूर्य की किरणें पड़ने पर आकाश में या स्थल से भ्रम से दिखाई पड़ता है। २. वेदान्त में, उक्त के आधार पर किसी प्रकार का मिथ्या, भ्रम। ३. चंद्रमा के चारों ओर घेरा या मंडल। ४. संध्या के समय पश्चिम दिशा में रंग-बिरंगें बादलों में फैली हुई लाली। ५. महाभारत के अनुसार मानसरोवर के पास का एक नगर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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