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शब्द का अर्थ

गढ़ना  : स० [सं० घटन,प्रा० घड़न,पश्चिमी हिं० घड़ना] १. कोई नयी चीज बनाने के लिए किसी स्थूल पदार्थ की काट, छील या तराशकार तैयार या दुरस्त करना। कारीगरी से निर्मित करना या बनाना। जैसे–पत्थर की मूर्ति या चाँदी-सोने के गहनें गढऩा। २. किसी को काट छाट या छील-तराशकर सुन्दर और सुडौल रूप में लाना। जैसे–दरवाजे का पल्ला गढ़ना। ३. परिश्रम तथा मनोयोग से अच्छी तरह और सुन्दर रूप में कोई काम करना। जैसे-गढ़-गढ़कर लिखना। ४. अपने मन से कोई कल्पित बात बनाकर अथवा कोई बात नमक-मिर्च लगाकर सुन्दर रूप में उपस्थित या प्रस्तुत करना। जैसे–गढ़-गढ़कर बातें करना। ५. किसी को ठीक रास्ते पर लाने के लिए खूब मारना पीटना। जैसे–मैं किसी दिन तुम्हें गढ़कर ठीक करूँगा। मुहावरा–(किसी की) हड्डी पसली गढ़ना=खूब मारना या पीटना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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