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शब्द का अर्थ

गोलंदाज  : पुं० [फा०] वह व्यक्ति जो तोप में गोला भरकर चलाता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
गोलंदाजी  : स्त्री० [फा०] तोप से गोला चलाने का काम या कला।
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गोलंबर  : पुं० [हिं० गोल+अंबर] १. वास्तु में किसी प्रकार की गोलाकार रचना। जैसे्–गुबंद ,बगीचों आदि में बना हुआ गोल चबूतरा। २. गोलाई। ३. कलबूत जिसपर रखकर जूता,टोपी आदि चीजें सींते हैं। (कालिब)।
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गोल  : पुं० [सं०√गुड् (रक्षण)+अच्, डस्यल] १. मंडलाकार या वृत्ताकार बनावट या रचना। २. गोलाकार पिंड। गोला। ३. ज्योतिष में, गोल यंत्र। ४. विधवा का जारज पुत्र। गोलक। ५. मदन या मैनफल नामक वृक्ष। ६. मुर नामक औषधि। ७. मिट्टी का गोलाकार घड़ा। ८. दक्षिण-पश्चिमी यूरोप के कुछ विशिष्ट भागों का पुराना नाम। वि० १. जिसकी गोलाई वृत्त के समान हो। (सर्कुलर) जैसे–अँगूठी, पहिया, सूर्य आदि। २. जो बहुत कुछ वृत्ताकार हो। जैसे–गोल मुँह, गोलसिर । ३. (वस्तु) जिसके बाहरी तल का प्रत्येक बिन्दु उसके केन्द्र से बराबर दूरी पर हो। (स्फेरिकल)। जैसे–खेलने का गेंद, फेंकने का गोला। ४. (वस्तु) जिसकी आकृति बेलन जैसी हो। जैसे–गोल गिलास, गोल पाया। पुं० [सं० गोल-योग] उपद्रव। खलबली। पद–गोल बात =ऐसे रूप में कहीं जानेवाली बात जिसका ठीक-ठीक आशय या भाव किसी की समझ में न आता हो। कई अर्थोंवाली बात। मुहावरा–गोल करना =कोई चीज कई चुपके से हटा देना। गायब करना। गोल रहना–बिलकुल चुप रहना। गोल होना-कहीं से चुपचाप हट जाना। खिसक जाना। पुं० हिं० गोला का संक्षिप्त रूप जो उसे समस्त पदों में लगने पर प्राप्त होता है। जैसे–गोलंदाज, गोलंबर। पुं० [फा० गोल] १. एक ही जाति के बहुत से पशुओं का समूह। जैसे–भेड़ों का गोल। २. एक ही प्रकार या वर्ग के बहुत से लोगों का झुंड। क्रि० प्र०–बाँधना। पुं० [अं०] १. फुटबाल, हाकी आदि खेलने के मैदानों का वह भाग जहाँ एक दल के खेलाड़ी गेंद पहुँचाकर दूसरे दल को हराते हैं। २. उक्त स्थान में गेंद पहुँचाने की अवस्था या भाव।
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गोलक  : पुं० [सं० गोल+कन् वा√गुड्+ण्वुल्-अक,डस्य.लः] १. किसी प्रकार का गोल पिंड या डला। २. विधवा स्त्री की वह संतान जो उसके जार या यार से उत्पन्न हो। ३. मिट्टी का बहुत बड़ा घड़ा। कुंडा। ४. फूलों का निकाला हुआ सुंगधित सार भाग। ५. आँख का डेला। ६. आँख की पुतली। ७. वह थैली या सन्दूक जिसमें किसी विशेष कार्य के लिए धन संग्रह किया जाए। गुल्लक। ८. वह थैली या सन्दूक जिसमें दूकानदार रोज की ब्रिकी के रुपए-पैसे रखते हैं। ९. गुंबज या उसके आकार की कोई गोल रचना। उदाहरण–गिर रहा निस्तेज गोलक जलधि में असहाय।–प्रसाद। १॰. दे० गो-लोक।
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गोल-कलम  : स्त्री० [हिं० गोल+कलम] एक प्रकार की छेनी जो धातुओं पर नक्काशी करने के काम में आती हैं।
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गोल-कली  : स्त्री० [हिं० गोल+कली] एक प्रकार का अंगूर और उसकी लता।
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गोल-गप्पा  : पुं० [हिं० गोल+अनु० गप] घी, तेल आदि में तली हुई एक प्रकार की छोटी फुलकी जो खटाई के रस में डुबाकर खायी जाती है। वि० (उक्त के आधार पर) जो गोल गप्पे के समान गोलाकार और फूला हुआ हो।
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गोल-पंजा  : पुं० [हिं० गोल+पंजा] पुरानी चाल का वह जूता जिसकी नोंक ऊपर की ओर मुड़ी नहीं होती थी। मुंडा जूता।
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गोल-पत्ता  : पुं०=गोल-फल।
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गोल-फल  : पुं० [देश०] गुलगा नामक ताड़ (वृक्ष) का फल। [सं० ब० स०] मदन वृक्ष।
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गोल-मटोल  : वि० [हिं० गोल+मटोल (अनु०)] १. बहुत कुछ गोलाकार। २. नाटे कद तथा भारी शरीरवाला।(व्यक्ति)।
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गोल-माल  : पुं० [सं० गोल (योग)] ऐसी अव्यवस्था या गड़बड़ी जो जान-बूझकर और दुष्ट उद्देश्य से की गई हो।
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गोल-मिर्च  : स्त्री० [हिं० गोल+मरिच्] काली मिर्च।
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गोल-मुँहाँ  : पुं० [हिं० गोल+मुँह] कसेरों की एक प्रकार की गोल मुँह वाली हथौड़ी।
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गोल-मेज  : स्त्री० [हिं० गोल+फा० मेज] वह गोल मेज (या मेजों का मंडलाकार विन्यास) जिसके चारों ओर बैठकर कुछ दलों या देशों के प्रतिनिधि पूर्ण समानता के भाव से किसी समस्या पर न्यायोचित रूप से और सबको सन्तुष्ट करने के उद्देश्य से विचार करें।
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गोल-मेथी  : स्त्री० [हिं० गोल+मोथा] मोथे का जाति का एक पेड़ जिसके डंठलों से चटाइयाँ बनाई जाती हैं।
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गोल-यंत्र  : पुं० [कर्म० स०] ज्योतिषियों का एक प्रकार का यंत्र जिससे सूर्य, चन्द्र, पृथिवी आदि ग्रहों और नक्षत्रों की गति-विधि,स्थिति अयन, परिवर्तन आदि का पता लगाते हैं। और जो प्राचीन भारत में बाँस की तीलियों आदि से बनता था।
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गोल-योग  : पुं० [कर्म० स०] १. ज्योतिष में एक योग जो एक ही राशि के छः या सात ग्रहों के एकत्र होने से होता और बहुत अनिष्टकारक माना जाता है। २. गड़बड़ी। गो-माल।
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गोलर  : पुं० [देश०] कसेरू।
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गोलरा  : पुं० [देश०] एक प्रकार का लंबा सुन्दर पेड़ जिसके हीर की लकड़ी चमकीली और बहुत कड़ी होती है। इसके पत्तों से चमड़ा सिझाया जाता है और लकड़ी से नावें, जहाज आदि और खेती के औजार बनाये जाते हैं।
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गोल-विद्या  : स्त्री० [ष० त०] ज्योतिष विद्या का वह अंग जिसमें आकाशस्थ पिडो़ और ग्रहों के आकार-विस्तार, ऋतु-परिवर्तन, गति-विधि आदि का विचार तथा विवेचन होता हैं।
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गोला  : पुं० [सं० गोल] [स्त्री० गोली] १. गेंद की तरह का कोई गोलाकार पिंड या वस्तु। २. धागों, रस्सियों आदि को लपेटकर बनाया हुआ उक्त आकार का पिंड। जैसे–डोरी या सूत का गोला। ३. किसी पिसी हुई वस्तु के चूर्ण को भिगोकर या पानी आदि में सानकर बनाया जानेवाला पिंड। जैसे–आटे या भाँग का गोला। ४. लोहे का वह गोल पिंड जिसे व्यायाम करते समय लोग हाथ में उठाकर दूर फेकते हैं। मुहावरा–गोला उठाना=प्राचीन काल में अपनी सत्यता प्रमाणित करने के लिए जलता हुआ लोहे का गोला इस प्रतिज्ञा से उठाना कि यदि हम निर्दोष हैं तो हमारा हाथ नहीं जलेगा। ५. धड़ाके से फटनेवाला एक प्रकार का रासायनिक विस्फोटक पिंड। पद–गोला बारूद==युद्ध में शत्रुओं का नाश करनेवाली सामग्री। अस्त्र-शस्त्र आदि। (अम्यूनिशन्स) ६. वास्तु में, खंभे, दीवार आदि के ऊपर की गोलाकार रचना। ७. मिट्टी, काठ आदि का गोलाकार ढाँचा जिसके ऊपर कपड़ा लपेटकर पगड़ी तैयार की जाती है। ८. नारियल का वह भाग जो उसके ऊपर की जटा छीलने के बाद बच रहता है। गरी का गोला। ९. कुछ विशिष्ट प्रकार की लकड़ियों का वह लंबा तना या लट्ठा जो छाजन आदि के काम के लिए छतों पर रखा जाता है। १॰. एक प्रकार का ठोस बाँस जो डंडे, छडियाँ आदि बनाने के काम आता है। मुहावरा–गोला लाठी करना=लड़कों का हाथ पैर बाँधकर दोनों घुटनों के बीच में डंडा डालना। (दुष्टता करने पर दिया जानेवाला एक प्रकार की दंड या सजा)। ११. पेट में होनेवाला एक प्रकार का एक रोग जिसमें थोड़ी-थोडी देर पर पेट के अन्दर नाभि से गले तक वायु का एक गोला आता-जाता हुआ जान पड़ता हैं। १२. अनाज, किराने आदि का बड़ा बाजार या मंडी। १३. घास का गट्ठर। १४. जंगली कबूतर। १५. कुएँ के ऊपर की गोलाकार जगत। १६. तालाब या नदी के किनारे का घाट। १७. एक प्रकार का बेंत जो बहुत लंबा तथा मुलायम होता है। तथा टोकरे आदि बनाने के काम में आता है। स्त्री० [सं०] १. बच्चों के खेलने का गेंद या गोली। २. छोटा घड़ा या मटकी। ३. गोदावरी नदी। ४. दुर्गा। ५. सखी। सहेली। ६. स्याही। मसि। ७. मैनसिल। ८. मंडली। वि० वृत्त के आकार का गोल। पुं० [अ० गोलझुंड] पशु-पक्षियों आदि का झुंड। पुं० [हिं० गोलीदासी] गोली (अर्थात् दासी) के गर्भ से उत्पन्न लड़का या व्यक्ति। विशेष–मध्ययुग में राजपूताने (राजस्थान) में ऐसे लोगों की अलग जाति या वर्ग ही बन गया था। पुं० [अ० गुलाम] ताश में का गुलाम नाम का पत्ता।
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गोलाई  : स्त्री० [हिं० गोल+आई (प्रत्यय)] १. किसी वस्तु के गोल होने का भाव या स्थिति। २. किसी गोल वस्तु के किनारे पर का बाहरी गोल घेरा।
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गोलाकार  : वि० [गोल-आकार ब० स०] जिसकी आकृति गोल हो। गोल आकारवाला जैसे–गोलाकार चबूतरा।
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गोलाधार  : वि० [हिं० गोला+धार] मूसलाधार। (वर्षा)।
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गोलाध्याय  : पुं० [गोल-अध्याय, ब० स०] भास्कराचार्य का एक ग्रंथ जिसमें भूगोल और खगोल का वर्णन है।
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गोलार्द्ध  : पुं० [गोल-अर्द्ध, ष० त०] १. किसी प्रकार के गोले का आधा भाग। २. गोल या पृथ्वी का आधा भाग। (हेमिस्फियर) विशेष-भूमध्य रेखा पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध में विभाजित करती है और खमध्य रेखा पृथ्वी को पूर्वी तथा पश्चिमी गोलार्द्धों में। ३. उक्त किसी आधे भू-भाग का मानचित्र।
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गोलासन  : पुं० [गोल-आसन=क्षेपण, ब० स०] पुरानी चाल की एक प्रकार की तोप।
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गोलियाना  : स० [हिं० गोल या गोला] १. कोई चीज गोल करना। गोले के रूप में बनाना या लाना। २. छोटी-छोटी गोलियाँ बनाना। ३. पशुओँ को औषध आदि गोली के रूप में बनाकर जबरदस्ती खिलाना। ४. जबरदस्ती कोई चीज या बात किसी के गले में उतारना। ५. कोई चीज कहीं से गायब करना। गोल करना। उड़ाना।
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गोली  : स्त्री [हिं० गोला का स्त्री० और अल्पा०] १. कोई छोटा गोला या गोलाकार पिंड। वटिका। जैसे–दवा की गोली, बंदूक की गोली, रेशम या सूत की गोली। २. मिट्टी का वह छोटा गोलाकार पिंड जिससे बच्चे कई तरह के खेल खेलते हैं। ३. उक्त पिड़ों से खेला जानेवाला खेल। ४. उक्त प्रकार का शीशे का वह गोलाकार या लंबोतरा पिंड जो तमंचों, बंदूकों आदि से शत्रुओं को मारने अथवा पशु-पक्षियों का शिकार करने के लिए चलाया जाता है। मुहावरा–गोली खाना बंदूक आदि की गोली का आघात सहना। (किसी काम या व्यक्ति को) गोली मारना =उपेक्षा या तिरस्कार पूर्वक दूर हटाना। जैसे–गोली मारो ऐसे नौकर को। ५. किसी प्रकार का घातक वार। मुहावरा–गोली बचाना किसी संकट या आपत्ति से धूर्ततापूर्वक अपना बचाव कर लेना। स्त्री० [?] मिट्टी का छोटा घडा। ठिलिया। २. पीले या बादामी रंग की गौ। ३. पशुओं का एक प्रकार का रोग। स्त्री० [सं० गोला=सखी] १. मध्ययुग में वह स्त्री जो वधुओं की सहेली के रूप में उसके साथ ससुराल भेजी जाती थी। विशेष–ऐसी स्त्रियाँ प्रायः दासी वर्ग की होती थीं। आगे चलकर राजस्थान आदि में ऐसी दासियों की एक अलग जाति या वर्ग ही बन गया था, जो पूर्ण रूप से दास ही माना जाने लगा था। भारत में स्वराज्य होने और सामंतशाही का अंत होने पर समाज का यह वर्ग भी स्वतन्त्र हो गया। २. छोटी-मोटी सेवाएँ या टहल करनेवाली दासी। पुं० [अ० गोल] फुटबाल, हाकी आदि का वह खिलाड़ी जो गोल में खड़ा होता है तथा उसमें गेंद जाने से रोकता है। (गोलकीपर)
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गोलीय  : वि० [सं० गोल+छ-ईय] १. गोल-संबंधी। २. खगोल भूगोल आदि से संबंध रखनेवाला।
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गोलैंदा  : पुं० [देश०] महुए का फल। कोइंदा।
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गोलोक-वास  : पुं० [स० त०] परलोक वास। (मृत्यु के लिए आदरार्थक)
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गोलोकेश  : पुं० [गोलोक-ईश, ष० त०] श्री कृष्णचन्द्र।
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गोलोचन  : पुं० =गोरोचन।
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गोलौआ  : पुं० [हिं० गोल] बाँस आदि का बड़ा टोकरा।
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