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घाव  : पुं० [सं० घात,पा० घातो,प्रा० घाअ,गु० पं० घा० सि० घाऊ,मरा० घाव,घाय] १. शरीर के किसी अंग पर किसी वस्तु का आघात लगने से होनेवाला कटाव या पडनेवाली दरार। क्षत। जख्म। मुहावरा–घाव खाना=आघात या प्रहार सहने के कारण घायल होना। घाव पूजना या भरना=क्षत या घाव में नया मांस भर आने के कारण उसका अच्छा होना। २. शरीर का वह अंग या अंश जो कटने-फटने,सड़ने-गलने आदि के कारण विकृत हो गया हो। ३. मानसिक आघात आदि के कारण होनेवाली मन की दुःखपूर्ण स्थिति। मुहावरा– घाव पर नमक छिड़कना=दुःखी या पीड़ित को और अधिक दुःख या पीड़ा पहुँचाना।
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घाव-पत्ता  : पुं० [हिं० घाव+पत्ता] एक प्रकार की लता जिसके पत्ते घाव पर बाँधने से घाव जल्दी भरता है।
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घावरा  : पुं० [देश] एक प्रकार का ऊँचा सुंगधित वृक्ष जिसकी छाल चिकनी और लकड़ी मजबूत तथा चमकीली होती है।
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घावरिया  : पुं० [हिं० घाव+वरिया(वाला)] घावों की चिकित्सा करनेवाला व्यक्ति। जर्राह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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घावा  : वि०=घायल। (राज०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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