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चपला  : स्त्री० [सं० चपल+टाप्] १. लक्ष्मी। २. बिजली। विद्युत। ३. दुश्चरित्रा या पुंश्चली स्त्री। ४. पिप्पली। ५. जीभ। जिह्रा। ६. भाँग। विजया। ७. मदिरा। शराब। ८. आर्या छंद का वह भेद जिसमें पहले गण के अंत में गुरु हो, दूसरा गण जगंण हो, तीसरा गण दो गुरुओं का हो, चौथा गण जगण हो, पाँचवें गण का आदि गुरु हो, छठा गण जगण हो, सातवाँ जगण न हो और अंत में गुरु हो। ९. प्राचीन काल की एक प्रकार की नाव जो ४८ हाथ लंबी, २४ हाथ चौड़ी और २४ हाथ ऊँची होती थी और केवल नदियों में चलती थी। वि० सं० ‘चपल’ का स्त्री। पुं० [हिं० चप्पड़] जहाज में लोहे या लकड़ी की पट्टी जो पतवार के दोनों ओर उसकी रेक के लिए लगाई जाती है। (लश०)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चपलाई  : स्त्री० चपलता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चपलान  : पुं० [हिं० चप्पड़] जहाज की गलही के अगल-बगल के कुंदे जो धक्के सँभालने के लिए लगाए जाते हैं। (लश०)।
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चपलाना  : अ० [सं० चपल] १. चपलता दिखाना। २. धीरे-धीरे आगे बढ़ना, चलना या हिलना-डोलना। स० १. किसी को चपल बनाना। २. चलाना-फिराना या हिलाना-डुलाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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