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चिड़चिड़ा  : वि० [हिं० चिड़चिड़ाना] [स्त्री० चिड़चिड़ी] १. (व्यक्ति) जो बिना किसी बात के अथवा बहुत ही साधारण बाते से चिढ़कर बिगड़ खड़ा होता हो। बात-बात पर कुद्ध हो जानेवाला। जैसे–रुपए-पैसे की तंगी से वे चिड़चिड़े हो गये हैं। २. (स्वभाव) जिसमें चिड़चिड़ापन हो। ३. जो चिड़चिड़े या चिट चिट शब्द करता हुआ जलता हो। जैसे–चिड़ चिड़ लकड़ी। पुं० [अनु०] भूरे रंग का एक प्रकार का छोटा पक्षी। पुं०=चिचड़ा(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चिड़चिड़ाना  : अ० [अनु०] [भाव० चिड़चिड़ाहट] १. (व्यक्ति के संबध में) जरा-सी बात से चिढ़कर क्रोध-भरी बातें कहना। नाराज होना। बिगड़ बैठना। २. (काठ या जलावन के संबंध में) जलने या जलाने पर चिड़ चिड़ शब्द होना। ३. (पदार्थ के संबंध में) ऊपरी तल का सूख कर जगह-जगह से थोड़ा बहुत उखड़ या फट जाना। जैसे–चमड़े का पट्टा या जूता चिड़चिड़ाना। स० किसी व्यक्ति को इस प्रकार अप्रसन्न या रुष्ट करना कि वह चिढ़ या बिगड़कर उलटी-सीधी बातें कहने लगे। जैसे–तुमने तो आते ही उन्हें चिड़चिड़ा दिया।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चिड़चिड़ा़हट  : स्त्री० [हिं० चिड़चिड़ाना+हट (प्रत्य०)] १. चिड़चिड़ाने की अवस्था, क्रिया या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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