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चुराना  : स० [सं० चुर=चोरी करना] १. किसी की कोई वस्तु बिना उसकी अनुमति के तथा छलपूर्वक कहीं से उठाकर अपने उपयोग के लिए ले जाना। चोरी करना। जैसे–किसी की कलम या किताब चुराना। २. किसी दूसरे का कोई भाव, विचार आदि अपना बनाकर कहना या लिखना। छलपूर्वक अपना बना लेना। ३. इस प्रकार बरबस अपने अधिकार या वश में कर लेना कि सहसा किसी को पता न चले। जैसे–किसी का चित्त या मन चुराना। ४. किसी वस्तु को इस प्रकार सुरक्षित रखना कि कोई उसे देखने न पावे। छिपाकर रखना। जैसे–गाय का अपने थन में दूध चुराना। ५. भय, संकोच आदि के कारण कोई चीज या बात दबा रखना और दूसरों के सम्मुख न लाना अथवा उन्हें न बतलाना। जैसे–(क) रमणी का आँखें चुराना। (ख) मित्रों से विवाह का समाचार चुराना। ६. आवश्यकता पड़ने पर ठीक या पूरा प्रयोग न करना। जैसे–काम करने से जी चुराना। स० [हिं० चुरना का स०] किसी तरल पदार्थ को उबालकर अच्छी तरह गरम करते हुए पकाना। चुरने में प्रवृत्त करना। जैसे–हाँड़ी में चावल या दाल चुराना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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