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चुल  : स्त्री० [हिं० चुलचुलाना से] १. शरीर के किसी अंग के मले या सहलाए जाने की इच्छा। खुजलाहट। खुजली। २. प्रसंग या संभोग की प्रबल इच्छा या कामना। काम-वासना। ३. किसी प्रकार की प्रबल इच्छा, कामना या वासना। क्रि० प्र०–उठना।–मिटना।–मिटाना। स्त्री०=चुर (माँद)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) उदाहरण–तेदुओं के आकार स्पष्ट दिखलाई पड़ने लगे उनकी चुल भी दिखलाई पड़ी।–वृंदावनलाल वर्मा।
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चुलका  : स्त्री० =चुलुका।
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चुलचुलाना  : अ० [अनु०] १. शरीर के किसी अंग में ऐसी हलकी जलन या सुरसुरी होना कि उसे खुजलाने को जी चाहे। हलकी खुजली होना। २. प्रसंग या संभोग की प्रबल कामना होना। ३. चंचलतापूर्वक इधर-उधर हाथ-पैर करना या चीजें हटाना-बढ़ाना। चिलबिल्लापन करना।
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चुलचुलाहट  : स्त्री०[हिं० चुलचुलाना] चुलचुलाने की क्रिया या भाव।
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चुलचुली  : स्त्री० [हिं० चुलचुलाना] १. शरीर में होनेवाली हलकी खुजली। २. काम-वासना। चुल।
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चुलबुल  : स्त्री० [सं० चल और बल] १. चुलबुलाने की अवस्था, क्रिया या भाव। चुलबुलाहट। २. चंचलता। चपलता।
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चुलबुला  : वि० [हिं० चुलबुलाना] [स्त्री० चुलबुली] १. उमंग के कारण जिसके अंग बहुत अधिक हिलते-डुलते रहते हों। चंचल। चपल। २. दुष्ट। नटखट। पाजी।
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चुलबुलाना  : अ० [सं० चल=चंचल अथवा अनु०] १. उमंग, यौवन आदि के कारण बार-बार अंग हिलाना-डुलाना। चुलबुल करना। २. चंचलता या चपलता दिखलाना।
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चुलबुलापन  : पुं० [हिं० चुलबुला+पन (प्रत्यय)] १. चुलबुले होने की अवस्था, क्रिया या भाव। चुलबुलाहट। २. चंचलता। चपलता। शोखी।
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चुलबुलाहट  : स्त्री०=चुलबुलापन।
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चुलबुलिया  : वि०=चुलबुला।
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चुलहाई  : वि० [हिं० चुलहाया का स्त्री०] (स्त्री) जिसमें काम या संभोग की वासना अधिक हो। स्त्री० छिनाल। पुंश्चली।
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चुलहाया  : वि० [हिं० चुल+हाया (प्रत्य०)] [स्त्री० चुलहाई] जिसमें काम-वासना की अधिकता या प्रबलता हो।
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चुलाना  : स०=चुआना।
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चुलाव  : पुं० [हिं० चुलाना=चुआना] चुलाने अर्थात् चुआने की क्रिया या भाव। पुं० [हिं० पुलाव का अनु०] पुलाव की तरह पकाये हुए ऐसे चावल जिनमें मांस न पड़ा हो।
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चुलियाला  : पुं० [?] एक प्रकार का मांत्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में १३ और १६ के विश्राम से २९ मात्राएँ होती हैं। इसके अंत में एक जगण और एक लघु होता है। दोहे के अंत में एक जगण और एक लघु जोड़ने से यह छंद बनता है। कोई इसके दो और चार पद मानते हैं। जो दो पद मानते हैं वे दोहे के अंत में एक जगण और एक लघु रखते हैं। जो चार पद मानते हैं, वे दोहे के अंत में एक यगण रखते हैं।
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चुली  : स्त्री० [हिं० चुल्लू] १. धार्मिक दृष्टि से कोई चीज दान करने के लिए हथेली में जल लेकर किया जाने वाला संकल्प। २. दे० ‘चुल्लू’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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चुलुक  : पुं० [सं० चुल्(ऊँचा होना)+उकक्० बा०] १. उतना जल जितने में उड़द का दाना डूब जाय। २. बहुत अधिक कीचड़ या दलदल। ३.हाथ में पानी लेने के लिए हथेली का बनाया हुआ चुल्लू। ४. एक प्रकार का पुराना बरतन जिससे अनाज आदि नापते थे। ५. एक गोत्र का प्रवर्तक ऋषि।
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चुलुका  : स्त्री० [सं० चुलुक+टाप्] एक प्राचीन नदी। (महाभारत)।
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चुलुपा  : स्त्री० [सं० चुलुपा(रक्षा करना)+क-टाप्] बकरी।
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चुलूक  : पुं० =चुल्लू।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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चुल्ल  : वि० [सं० क्लिन्न+लच्, चुल् आदेश] जिसकी आँखों में कीचड़ भरा हो। स्त्री०=चुल।
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चुल्लक  : पुं०[सं०चुल्ल+कन्] चुल्लू।
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चुल्लकी  : स्त्री० [सं०√ चुल्ल् (कीड़ा करना)+ण्वुल्-अक+ङीष्] शिंशुमार या सूँस नामक जल-जंतु।
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चुल्ला  : पुं० [सं० चूड़ा=वलय] जुलाहों के करघे में का काँच का छोटा छल्ला। वि०=चुल्ली (चंचल और दुष्ट)।
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चुल्लि  : स्त्री० [सं०√चुल्ल्+इनि] १.चुल्हा। २. चिता।
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चुल्ली  : वि० [हिं० चुल] १. चुलबुला। चंचल। २. चिलबिल्ला। नटखट। पाजी। स्त्री० [सं० चुल्लि+ङीष्] चुल्लि। स्त्री०=चुली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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चुल्लू  : पुं० [सं० चुलुक] १. उँगलियों को अंदर की ओर कुछ मोड़कर गहरी की हुई हथेली जिसमें भरकर पानी आदि पी सकें। २. उतनी वस्तु जितनी हाथ की उक्त मुद्रा में आती है। पद-चुल्लू भर=उतना कम या थोड़ा(तरल पदार्थ) जितना एक बार चुल्लू में आता हो। मुहावरा–चुल्लू चुल्लू साधना=थोड़ा-थोडा़ करके किसी प्रकार का अभ्यास संग्रह या साधन करना। चुल्लू भर पानी मे डूब मरना=बहुत ही लज्जाजनक स्थिति में आना,पड़ना या होना। किसी को मुँह दिखाने या जीवित रहने के योग्य न रह जाना।(तिरस्कार सूचक) जैसे–ऐसा काम (या बात) करने से तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना ज्यादा अच्छा है। (किसी का) चुल्लू भर लहू पीना=बदला चुकाने के लिए उसी तरह किसी को मार कर उसका रक्त पीना जिस प्रकार भीम ने दुःशासन का लहू पीया था। चुल्लू में उल्लू होना=बहुत थोड़ी सी नशे की चीज। जैसे–भाँग या शराब पीते ही बेसुध होना। चुल्लुओं रोना=बहुत अधिक आँसू बहाना। बहुत रोना। (किसी का) चुल्लुओं लहू पीना (क चुल्लू भर लहू पीना। (ख) बहुत अधिक तंग या दुःखी करना। बहुत सताना।
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चुल्हौना  : पुं०=चूल्हा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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