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चेहरा  : पुं० [फा० चेहरः] १. काली खोपड़ी और गरदन के बीच का वह अगला गोलाकार भाग जिसमें मुँह, आँख, नाक आदि रहते हैं। मुखड़ा। वदन। २. आकृति शकल। मुहावरा–चेहरा उतरना=कष्ट, चिन्ता, रोग, लज्जा आदि के कारण मन की आकृति का तेज या श्री रहति या हीन होना। चेहरा तमतमाना=क्रोध, ताप आदि के कारण चेहरे का लाल हो जाना। चेहरा बिगाड़ना=इतना अधिक मारना कि सूरत न पहचानी जाय। (किसी का चेहरा भाँपना=शकल-सूरत देखकर किसी के मन का भाव ताड़ लेना। चेहरा होना=मुसलमानी शासन काल में, लोगों का सेना में नाम लिखाना या भरती होना। ३. कागज, मिट्टी, धातु आदि का बना हुआ किसी देवता, दानव या पशु आदि की आकृति का वह साँचा जो लीला या स्वाँग आदि में चेहरे के ऊपर बाँधा या पहना जाता है। मुहावरा–चेहरा उठाना=नियमपूर्वक पूजन आदि के उपरांत किसी देवी या देवता का चेहरा अपने मुँह पर बाँधना या लगाना। जैसे–काली या हनुमान का चेहरा उठाना। ४. किसी चीज का अगला या सामने का भाग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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