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छप्पर  : पुं० [सं० छत्त्वर, प्रा० छप्पर, बँ० छापर, ओ० छपर, पं० ल्हां० छप्पर, सि० छरू, गु० छाप्रो, ने० छाप्रो, मरा० छप्पर] १. कच्चे मकानों, झोपड़ियों आदि की वह छाजन जो बाँसों, लकड़ियों तथा फूस की बनी होती है। मुहावरा–(किसी पर) छप्पर टूट पड़ना=एकाएक कोई विपत्ति या संकट आ पड़ना। (किसी को) छप्पर पर रखना=नगण्य समझना। (किसी को) छप्पर फाड़कर देना=अनायास और बहुत अधिक देना। २. झोपड़ी या मकान जिसकी छाजन फूस आदि की हो। ३. किसी प्रकार का आवरण जो रक्षा के लिए ऊपर लगाया जाय। जैसे–नाव पर का छप्पर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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