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शब्द का अर्थ

जवार  : पुं० [अ०] १. आस-पास का स्थान। २. पड़ोस ३. मार्ग। रास्ता। पुं०=जवाल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=ज्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
जवारा  : पुं० [हिं० जौ] १. जौ के नये निकले हुए अंकुर। २. नवरात्र की नवमी को होनेवाला एक उत्सव जिसमें लोग दल बाँधकर जौ के अंकुर प्रवाह करने के लिए निकलते हैं।
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जवारी  : स्त्री० [हिं० जव] १. एक प्रकार की माला जिसमें जौ, छुहारे तालमखाने के बीज आदि गूँधे जाते हैं। २. ऊन या रेशम का वह धागा जो तंबूरे के तार के नीचे उस अंश पर लपेटा जाता है जो घोड़ी पर रहता है। पद–जवारीदार गला=संगीत में ऐसा गला जिससे गाने के समय उसी के साथ कंप या छाया के रूप में उस स्वर की बहुत महीन या हलकी रेखा भी सुनाई पड़ती है। ३. जवारा।
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