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शब्द का अर्थ

झझक  : स्त्री० [हिं० झझकना] १. झझकने की क्रिया या भाव। २. क्रोध में आकर पागलों की तरह या झुँझलाते हुए बिगड़ खड़े होने की अवस्था या भाव। ३. कभी-कभी होनेवाला पागल का सा हलका दौरा। जैसे–जब कभी इन्हें झझक आ जाती है तब ये इसी तरह बकते हैं। ४. किसी पदार्थ में से रह-रहकर निकनलेवाली हल्की दुर्गन्ध। जैसे–इस नल में से कभी-कभी झझक आती है। क्रि० प्र०–आना।–निकलना। स्त्री०=झिझक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
झझकन  : स्त्री०=झझक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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झझकना  : अ० [अनु०] १. झझक में आकर अर्थात् झक या सनक में आकर बिगड़ खड़े होना। २. दे० ‘झिझिकना’।
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झझकाना  : स० [हिं० झझकना का प्रे०] किसी को झझकने में प्रवृत्त करना। चौंकाना। स० [हिं० झिझकरना] झिझकने में प्रवृत्त करना।
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झझकार  : स्त्री० [झझकारना] १. झझकारने की क्रिया या भाव। २. दे० ‘झझक’।
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झझकारना  : स० [अनु०] १. डाँटना। डपटना। २. तुच्छ समझकर दुरदुराना।
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