शब्द का अर्थ
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झोंक :
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स्त्री० [सं० जूटक (जटा)] १. झोंकने की क्रिया या भाव। २. सहसा किसी बात की ओर वेगपूर्वक झुक पड़ने अथवा मन के प्रवृत्त होने की अवस्था या भाव। जैसे–झोंक में आकर कोई काम कर बैठना। ३. नशे, मनोविकार, रोग आदि की अवस्था में सहसा मन में होनेवाली वह प्रवृत्ति जिसमें भले-बुरे का ज्ञान अथवा ध्यान न रह जाता हो। जैसे–पागलपन (या बीमारी) की झोंक में वह दिन भर बकता-झकता रहा। ४. किसी कार्य में होनेवाली ऐसी तल्लीनता जिसमें कुछ प्रमाद या भूल हो जाने की संभावना बनी रहती हो अथवा औचित्य की सीमा का उल्लंघन हो सकता हो। जैसे–(क) लिखने की झोंक में कलम से कुछ बातें ऐसी निकल गयी जो नहीं आनी चाहिए थी।(ख) पहली ही झोंक में उसने आधा काम निपटा डाला। ५. गति की ऐसी तीव्रता या वेग जो सहसा रुक न सकता हो अथवा जिसे सँभालना प्रायः कठिन होता हो। जैसे–(क) मोटर इतनी झोंक में आ रही थी कि चालक उसे ढाल पर रोक न सका। (ख) नींद की झोंक में वह पलक से गिरता-गिरता बच गया। ६. किसी चीज के यों ही अथवा वेगपूर्वक किसी ओर झुकने की क्रिया, प्रवृत्ति या भाव। जैसे–(क) नदी के बहाव की किनारे पर पड़नेवाली झोंक। (ख) तराजू की डंडी या पलड़े में होनेवाली झोंक (पासंग की सूचक)। मुहावरा–झोंक मारना=कौशल या वेगपूर्वक तराजू का आगेवाला पलड़ा इस प्रकार आगे झुकाना कि देखनेवाला समझ ले कि चीज तौल में पूरी हो गई। डाँडी मारना। ७. उक्त प्रकार के झुकाव, नति या प्रवृत्ति के कारण किसी ओर अथवा किसी चीज पर पड़नेवाला बोझ या भार। जैसे–दीवार (या बरामदे) की सारी झोंक इसी खंभे पर पडती हैं। पद–नोक-झोंक (देखें)। ८. बैलगाड़ी में वे दोनों लट्ठे जो दोनों ओर उसका झुकाव या भार रोकने के लिए लगे रहते हैं। ९. दे० ‘झाँका’। १॰. दे० ‘झोंकी’। |
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समानार्थी शब्द-
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झोंकदार :
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वि० [हिं० झोंक+दार(प्रत्यय)] (वास्तु कला में, ऐसी रचना) जो सम रेखा के नीचे की ओर झुकी हो। जैसे–झोंकदार छज्जा। |
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झोंकना :
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स० [हिं० झोंक] १. झोंक या वेग से एक चीज किसी दूसरी चीज में गिराना, डालना या फेंकना। जैसे–(क) इंजन में कोयला, भट्ठी में लकड़ी या भाड़ में झाड़-झंखाड़। (ख) लडके को कूएँ में झोंकना। मुहावरा–भाड़ झोंकना=दे० ‘भाड़’ के मुहावरे। २. ढकेलते या धक्का देते हुए अथवा बलपूर्वक किसी अनिष्ट, अप्रिय अथवा कष्टप्रद स्थिति की ओर अग्रसर होना। जान-बूझकर विपत्ति या संकट में डालना या फँसाना। जैसे–तुम तो मजे से घर बैठे रहे, और मुझे तुमने इस झंझट (मुकदमेबाजी, लड़ाई-झगड़ा आदि) में झोंक दिया। ३. किसी प्रकार का कार्य या भार जबरदस्ती किसी पर रखना या लादना। जैसे–यह काम भी तुमने मुझ पर झोंक दिया। ४. धन आदि के संबंध में बिना परिणाम आदि का विशेष विचार किये आवश्यकता से कहीं अधिक व्यय करना। जैसे–अमेरिका आज-कल अरबों रुपए संसार के पिछड़े हुए देशों में झोंक रहा है। |
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झोंकवा :
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पुं० [हिं० झोंकना] १. वह जो कही कोई चीज झोंकते रहने की सेवा पर नियुक्त हो। २. भट्ठे, भाड़ आदि में ईधन झोंकनेवाला व्यक्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झोंकवाई :
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स्त्री० [हिं० झोंकना] १. झोंकवाने की क्रिया भाव या मजदूरी। २.=झोंकाई। |
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झोंकवाना :
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स० [हिं० झोंकना का प्रे०] झोंकने का काम किसी दूसरे से कराना। किसी को कुछ झोंकने में प्रवृत्त करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झोंका :
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पुं० [हिं० झोंक] १. शांत या स्तब्ध वातावरण में थोड़े समय के लिए सहसा वेगपूर्वक चलनेवाली वायुलहरी। २. थोड़े समय के लिए परन्तु सहसा तथा वेगपूर्वक चलनेवाली वर्षा। ३. पानी की लहर। हिलोरा। ४. थोड़े समय के लिए परन्तु सहसा आनेवाली नींद। ५. वेगपूर्वक चलनेवाली वस्तु का लगनेवाला आघात या झटका। ६. वेगपूर्वक इधर-उधर झुकने या हिलने की क्रिया या भाव। ७. उक्त प्रकार के हिलने-डोलने के कारण लगनेवाला आघात, झटका या धक्का। ८. किसी प्रकार के उत्कर्ष आदि में दिखाई देनेवाली अनोखी असाधारणता या विशेषता। उदाहरण–कटि लहँगा लीलो बन्यो झोंको जो देखि मन मोहै।–सूर। ९. कुश्ती का एक पेंच जिसमें विपक्षी की बाँह के नीचे से हाथ ले जाकर उसके कन्धे पर रखते और तब उसे झटके या झोंके से नीचे गिरा देते हैं। |
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झोंकाई :
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स्त्री० [हिं० झोंकना] १. झोंकने की क्रिया, भाव या मजदूरी। |
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झोंकिया :
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पुं०=झोंकवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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झोंकी :
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स्त्री० [हिं० झोंका] १. ऐसी स्थिति जिसमें अनिष्ट, संकट, हानि आदि की विशेष आशंका या संभावना हो। जोखिम। २. ऐसा साहसपूर्ण कार-बार या लेन-देन जिसमें लाभ और हानि दोनों की बराबर बराबर संभावना हो। (व्यापारी)। क्रि० प्र०–उठाना।–लेना।–सहना। ३. उत्तरदायित्व। जवाबदेही। |
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झोंका :
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पुं०=झोंका। |
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