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ठनना  : अ० [हिं० ठानना] १. (किसी कार्य या व्यापार का) तत्परतापूर्वक या जोर-शोर से आरम्भ होना या किया जाना। जैसे–युद्ध ठनना। २. (विचार या संकल्प का मन में) निर्धारित या पक्का होना। जैसे–अब तो तुम्हारे मन में उनसे लड़ने की ठन गई है। ३. (व्यक्ति आदि का) तत्परतापूर्वक किसी कार्य या व्यापार में लगने को उद्यत होना। ४. किसी विशिष्ट रूप में दृढ़तापूर्वक सामने आकर उपस्थित होना। उदाहरण–दुलरी कल कोलिला कंठ बनी, मृग खंजन अंजन भाँति ठनी।–केशव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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