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डिगरी  : स्त्री० [अं० डिक्की] १. किसी अधिकारी को दी हुई आज्ञा या किया हुआ निर्णय। २. लोक व्यवहार में, दीवानी न्यायालय का वह निर्णय या फैसला जिसमें यह कहा जाता है कि अमुक पक्ष दूसरे पक्ष से इतना धन पाने अथवा अमुक सम्पत्ति लेने का अधिकारी है। क्रि० प्र०–पाना।–मिलना। पद–डिगरीदार (देखें)। मुहावरा–डिगरी जारी करना=अदालत के फैसले के मुताबिक किसी जायदाद पर कब्जा करने पर प्रतिपक्षी से प्राप्य धन प्राप्त करने की विधिक प्रक्रिया करना या कराना। डिगरी देना=दीवानी न्यायालय का किसी के पक्ष में यह निर्णय करना कि इसे प्रतिपक्षी से अमुक सम्पत्ति या इतना धन मिले। पद–जर डिगरी=वह रकम जिसके संबंध में किसी को दीवानी न्यायालय से डिगरी मिली हो। स्त्री० [अं०] १. किसी प्रकार के क्रम या श्रृंखला में का कोई निश्चित विभाग। अंश। कला। जैसे–ज्वर (या तापमान) १॰२ डिगरी है। २. विश्वविद्यालय की वह उपाधि या प्रमाण-पत्र जो इस बात का सूचक होता है कि अमुक व्यक्ति अमुक संज्ञावाली उच्च परीक्षा में उत्तीर्ण हो चुका है।
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डिगरीदार  : पुं० [अं० डिक्री+फा० दार] वह व्यक्ति जिसके पक्ष में दीवानी अदालत की डिगरी हुई हो।
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