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तख्ता  : पुं० [फा० तख्तः] १. लकड़ी का आयताकार या चौकोर बड़ा तथा समतल टुकड़ा। मुहावरा–तख्ता हो जाना=अकड़, ऐंठ या सूखकर काठ के समान कड़ा, जड़ या निश्चेष्ट हो जाना। २. लकड़ी का उक्त आकार का वह टुकड़ा जिस पर कुछ लिखा जाता है अथवा सूचनाएँ आदि चिपकाई जाती है। ३. बैठने, सोने आदि के लिए बनी हुई काठ की बड़ी चौकी। तख्त। मुहावरा–किसी का तख्ता उलटना=(क) बना बनाया हुआ काम बिगाड़ना। (ख) किसी प्रकार का प्रबन्ध या व्यवस्था नष्ट-भ्रष्ट करना। ४. शव ले जाने की अरथी। टिकटी। ५. खेतों में, बगीचों आदि में की क्यारी। ६. कागज का बड़ा और लंबा-चौडा टुकड़ा। ताव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
तख्ता-गरदन  : पुं० [फा०] वह घोड़ा जिसकी गरदन बहुत मोटी हो, और इसी लिए लगाम खींचने पर भी जल्दी मुड़ती न हो।
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तख्ता-पुल  : पुं० [फा० तख्ता+पुल] लकड़ी का वह पुल जो काठ की पटरियाँ जड़कर या बिछाकर बनाया जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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