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तगा  : पुं० [?] एक जाति जो रुहेलखंड में बसती है। इस जाति के लोग अपने आपकों ब्राह्मण कहते हैं। पुं०=तगा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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तगाई  : स्त्री० [हिं० तागना] १. तागने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. तागों से भरे जाने या युक्त होने की अवस्था या भाव। जैसे–रजाई या लिहाफ की तगाई।
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तगाड़  : पुं०=तगार।
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तगाड़ा  : पुं०=तगारा।
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तगादा  : पुं० [अ० तकाजः] वह कथन या बात जो किसी से कोई काम करने या कराने या उससे अपना प्राप्य धन अथवा पदार्थ प्राप्त करने के उद्देश्य से उसे याद दिलाने और जल्दी करने के लिए कही या कहलाई जाती है। तकाजा। जैसे–(क) किरायेदार से किराये के रुपयों का तगादा करना। (ख) छापेखाने से किताब जल्दी छापने का तगादा करना।
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तगाना  : स० [हिं० तागना का प्रे०] तागने का काम कराना। तागने में किसी को प्रवृत्त करना।
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तगाफुल  : पुं० [अ०] ध्यान न देना। उपेक्षा। गफलत।
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तगार  : पुं० [फा०] [स्त्री० अल्पा० तगारी] १. मिट्टी का बड़ा कूँड़ा या नाँद। २. वह गड्ढा या छोटा घेरा जिससे इमारत के काम के लिए ईंटें भिगोई जाती हैं अथवा चूने, सुरखी आदि का दारा बनाया जाता है। ३. वह तसला जिसमें गारा या मसाला भरकर राज मिस्तरियों के पास ईटों की जोड़ाई आदि करने के लिए पहुँचाया जाता है। ४. दे० ‘तगारा’।
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तगारा  : पुं० [फा० तगार=बड़ा कूआँ या नाँद] [स्त्री० अल्पा० तगारी] १. मिट्टी की वह नाँद जिसका उपयोग, हलवाई लोग मिठाइयाँ आदि बनाने में करते हैं। २. तरकारी, दाल आदि पकाने का पीतल का एक प्रकार का बड़ा बरतन।
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