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शब्द का अर्थ

तत्पुरुष  : पुं० [सं० कर्म० स०] १. ईश्वर। परमेश्वर। २. एक रुद्र का नाम। ३. एक कल्प या बड़े काल विभाग का नाम। ४. संस्कृत व्याकरण में एक प्रकार का समास जिसके अनुसार दो संज्ञाओं के बीच की विभक्ति लुप्त हो जाती है, और जिसमें दूसरा पद प्रधान होकर यह सूचित करता है कि वह पहले पद का कार्य या परिणाम है अथवा उस पहले पद से ही सम्बन्ध रखता अथवा उस में ही होता है। जैसे–ईश्वर दत्त-ईश्वर का दिया हुआ, देश-भक्ति-देश की भक्ति, ऋण-मुक्त-ऋण से मुक्त, निशाचर-निशा में विचरण करनेवाला। विशेष–व्याकरण में यह समास दो प्रकार का माना गया है–व्यधिकरण और समानाधिकरण और इसके विग्रह में कर्त्ता तथा संबोधन कारकों को छोड़कर सभी कारकों की विभक्तियाँ लगती है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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